दिल में, दूसरों के साथ और प्रकृति के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध स्थापित करना ही धर्म का
लक्ष्यः कार्डिनल जाँन लूइस तौरान
न्युयोर्क : 14 नवम्बर, 2008। अगर धर्म अपने दायित्वों के प्रति वफादार है तब वह सही
मायने में शांति का प्रचारक है।
उक्त बातें संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें के विशेष
प्रतिनिधि कार्डिनल जाँन लूइस तौरान ने संयुक्त राष्ट्र संघ की आम सभा में उस समय कहीं
जब वे बुधवार 12 नवम्बर को संस्कृति और शांति विषय पर अपने विचार दे रहे थे।
उन्होंने
कहा कि आज ज़रुरत है एक साथ मिलकर एक ऐसी कार्ययोजना वनाये जाने की जिससे पूरी दुनिया
एक हो जाये और अपने को सुरक्षित महसूस करे।
अन्तरधार्मिक वार्ता के लिय बनी परमधरमपीठीय
समिति के अध्यक्ष कार्डिनल तौरान ने कहा जौभि कि सब ही धर्मों में कुछ न कुछ खामियाँ
रही हैं वैसे लोगों की भी कोई कमी नहीं है जो मेलमिलाप और शांति के लिये कार्य कर रहे
हैं।
कार्डिनल ने आगे कहा कि उनका विश्वास है कि जब विभिन्न धर्मावलंबी अपने-अपने
घरों में बैठकर बातें करते हैं तो अवश्य ही अपने बच्चों को प्रेम और शांति के बारे बताते
हैं।
इतना ही नहीं वे एक-दूसरे को समझने का प्रयास करते हैं एक दूसरे का सम्मान
करते हैं। और इस प्रकार वे विभिन्नता में एकता का अनुभव करते हैं।
उनका मानना
है कि अगर व्यक्ति इन्हीं बातों को लेकर दूसरों के साथ भी वर्ताव करे तो दुनिया के लोगों
के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध कायम हो सकते हैं।
इस अवसर पर कार्डिनल ने इस बात
पर भी बल दिया कि धर्म का लक्ष्य तब ही पूर्ण होगा तो जब व्यक्ति अपने अंदर में शांति
को पाये अन्य लोगों के साथ शांतिपूर्वक रहे और प्रकृति के साथ भी अपना संबंध सौहार्दपूर्ण
रखे।
कार्डिनल ने कहा कि धर्म किसी के अंतःकरण की स्वतंत्रता को नहीं छीन सकता
है धर्म हिंसा को सही नहीं कह सकता और घृणा अतिवादिता को बढ़ावा नही दे सकता है।
उन्होंने
यह भी कहा कि चर्च ने सदा यही प्रयास किया है कि लोगों में भाईचारा बढ़े और लोग उस आशा
से जीवन बितायें जिसे प्रभु येसु ने दुनिया को दिया।