रोमः विएना के कार्डिनल के अनुसार वैज्ञानिक विकास सिद्धान्त एवं उत्पत्ति सम्बन्धी ख्रीस्तीय
समझ एक दूसरे के विरोधी नहीं
विएना के कार्डिनल क्रिस्टोफ शॉनबोर्न के अनुसार वैज्ञानिक विकास सिद्धान्त एवं उत्पत्ति
सम्बन्धी ख्रीस्तीय समझ एक दूसरे के विरोधी नहीं हैं।
ब्रह्माणड एवं जीवन के
विकास में वैज्ञानिक अन्तरदृष्टि विषय पर 31 अक्तूबर से तीन नवम्बर तक रोम में सम्पन्न
विज्ञान सम्बन्धी परमधर्मपीठीय अकादमी की पूर्णकालिक सभा में कार्डिनल महोदय ने उक्त
बात की पुष्टि की।
कार्डिनल शॉनबोर्न ने स्पष्ट किया कि विकास एवं उत्पत्ति में
विश्वास के बीच कोई मतभेद नहीं है बल्कि मतभेद मनुष्य तथा उसकी तर्कणा की विविध परिकल्पनाओं
के बीच है, ख्रीस्तीय दृष्टि एवं तर्कणावाद के बीच मतभेद है जो मनुष्य को उसके जैविक
आयामों तक सीमित कर देता है।
उन्होंने कहा कि यद्यपि विकास का सिद्धान्त जीवन
सम्बन्धी हमारे ज्ञान को बढ़ाता है वह महान दार्शनिक प्रश्न का उत्तर देने में असमर्थ
है जैसे कहाँ से सबकुछ आया और यह सबकुछ किस राह से होते हुए मनुष्य तक पहुँचा?
इसका
उत्तर देते हुए कार्डिनल महोदय ने कहा कि यह समझना और विश्वास करना अनिवार्य है कि सबकुछ
का आरम्भ किसी विशिष्ट बिन्दु से हुआ है, मनुष्य किसी दुर्व्यवस्था का फल नहीं अपितु
सृष्टिकर्त्ता द्वारा सोच समझकर सृजित किया गया प्राणी है। सृष्टिकर्त्ता ने चाहा मानव
अस्तित्व में आये तथा उनके प्रेम का पात्र बने।