2008-11-03 14:30:23

देवदूत संदेश प्रार्थना से पूर्व दिया गया संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें का सन्देश


श्रोताओ, रविवार 2 नवम्बर को संत पेत्रुस महामंदिर के प्रांगण में देश-विदेश से आये हजारों तीर्थयात्रियों को संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने प्रेरितिक प्रासाद के झरोखे से दर्शन दिये और उनके साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया। इस प्रार्थना से पूर्व दिये गये अपने सम्बोधन में उन्होंने कहा-

अतिप्रिय भाईयो और बहनो,

कल हमने सब सन्तों के पर्व दिवस पर चिंतन किया आज हम सब मृत विश्वासियों का स्मरण करते हुए अंतिम नियति पर चिंतन करते हैं। यह अति महत्वपू्र्ण है कि हम ख्रीस्तीयों का मृतकों के साथ ऐसा संबंध हो जो विश्वास के सत्य पर आधारित हो तथा हम प्रकाशना के आलोक में मृत्यु और भावी दुनिया को देखें। संत पौलुस ने आरम्भिक समुदाय को लिखते हुए विश्वासियों का आह्वान किया था कि उनलोगों के समान शोक न मनायें जिन्हें कोई आशा नहीं है, बल्कि हम विश्वास करते हैं कि येसु ख्रीस्त मर गये और फिर जी उठे। जो ईसा में विश्वास करते हुए मरे ईश्वर उन्हें उसी तरह ईसा के साथ पुर्नजीवित कर देंगे। आज भी यह जरूरी है कि मृत्यु और अनन्त जीवन की सच्चाई के बारे में सुसमाचारीय शिक्षा का प्रसार करें, ऐसी सच्चाई जो विशिष्ट रूप से अंधविश्वास और समन्वयवादी मान्यताओं का सामना करती है ताकि ख्रीस्तीय सत्य को विभिन्न प्रकार के मिथकों के सम्मिश्रण का खतरा न हो।

अनन्त जीवन मेरे विश्वपत्र स्पे साल्वी का एक विषय था जिसमें मैंने पूछा था क्या ख्रीस्तीय विश्वास आज के मानव के लिए आशा है जो उनके जीवन को धारण करती और पूर्ण परिवर्तन लाती है और अधिक क्रांतिकारी रूप में, हमारे युग के स्त्री और पुरूष क्या अनन्त जीवन की कामना करते हैं या कि पृथ्वी पर उनका अस्तित्व ही उनका एकमात्र क्षितिज है वस्तुतः संत अगुस्तीन ने कहा था कि हम सब उस धन्य जीवन, खुशी को चाहते हैं। हम ठीक से यह नहीं जानते हैं कि वह क्या है लेकिन हम उसकी ओर खिंचा हुआ महसूस करते हैं। यह सार्वभौमिक आशा है जो सब युग और सब जगह के लोगों के लिए सामान्य है। यह अभिव्यक्ति अनन्त जीवन इस अदम्य अपेक्षा को नाम देने की ओर निर्दिष्ट है, अंतहीन उत्तराधिकार नहीं लेकिन अनन्त प्रेम के सागर में निमज्जन जिसमें समय की गणना नहीं है। जीवन और आनन्द की परिपूर्णता यही है जिसकी हम आशा करते और ख्रीस्त के साथ होने की प्रत्याशा करते हैं।

आज हम अनन्त जीवन की आशा को नवीकृत करते हैं जिसकी नींव येसु ख्रीस्त की मृत्यु और उनके पुनरूत्थान पर दृढ़तापूर्वक डाली गयी है। प्रभु ने कहा था मैं जी उठा हूँ और सदैव तुम्हारे साथ हूँ। मेरा हाथ तुम्हें संभालता है। जहाँ भी तुम संभवतः गिर सकते हो तुम मेरे हाथों में गिरते हो और मैं मृत्यु के द्वार पर भी उपस्थित रहूँगा। जहाँ कोई तुम्हारा साथ नहीं दे सकता है, जहाँ तुम कुछ नहीं ला सकते हो वहाँ मैं तुम्हारी प्रतीक्षा करूँगा ताकि तुम्हारे अंधकार को परिवर्तित कर दूँगा।

ख्रीस्तीय आशा तथापि व्यक्तिगत आशा नहीं है लेकिन यह सदैव अन्यों के लिए आशा है। हमारा अस्तित्व अन्यों के साथ गहन रूप से जुड़ा है। प्रत्येक जन जो अच्छा तथा बुरा करता है वह सदैव दूसरे को प्रभावित करता है इसलिए इस दुनिया में एक तीर्थयात्री आत्मा की प्रार्थना दूसरी आत्मा की सहायता कर सकती है जो मृत्यु के बाद शोधाकाग्नि में शुद्ध की जा रही है। यही कारण है कि कलीसिया अपने मृत प्रियजनों के लिए प्रार्थना करने और उनकी कब्रों का दर्शन करने का आह्वान करती है।

माता मरियम आशा का तारा, अनन्त जीवन के लिए हमारी आशा को सुदृढ़ कर और अधिक यथार्थ बनाये तथा मृत भाई बहनों के लिए हमारी प्रार्थना को समर्थन प्रदान करे।

इतना कहकर संत पापा ने देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ किया और सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।








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