करिश्माई प्रार्थना समुदाय पवित्र आत्मा के फल उत्पन्न करें - संत पापा
संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने कहा कि कलीसिया के अंदर जो करिश्माई प्रार्थना दल के सदस्य
हैं उनकी जिम्मेदारी है कि वे पवित्र आत्मा के फल उत्पन्न करें। संत पापा ने उक्त
बातें उस समय कहीं जब वे रोम में आयोजित कैथोलिक फैटेरनिटी ऑफ करिसमाटिक कभेनन्ट नामक
समुदाय के 13 वें सम्मेलन को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने आगे कि वाटिकन की द्वितीय
महासभा के बाद कलीसिया में कई छोटे समुदायों का उद्भव हुआ है जिसके द्वारा कलीसिया को
एक नया जीवन प्राप्त हुआ है। ये समुदाय ईश्वर की ओर से एक विशेष वरदान हैं। औऱ कलीसियो
के लिये प्रेरणा के श्रोत हैं। संत पापा ने कहा कि कलीसिया उनका स्वागत करती है और कलीसियाई
जीवन को मजबूत करने के उनके योगदान की सराहना करती है। उन्होंने कहा कि नये करिशमटिक
समुदाय के द्वारा ईश्वर ने हमारे लिये अपनी आत्मा को भेजने का कार्य किया है। नये करिश्माई
समुदायों की एक विशेषता यह है कि उनका पवित्र आत्मा की शक्ति पर दृढ़ विश्वास है। करिश्माई
समुदायों की प्रशंसा करने के साथ-साथ पोप ने कहा कि इन समुदायों के नेताओं को यह भी ध्यान
देना है कि वे जब भी कोई निर्णय लें तो उसके पहले ईश्वरीय प्रज्ञा का अवश्य ही उपयोग
करें। संत पापा ने कहा कि करिश्माई समुदाय के लिये यह आवश्यक है कि वे एक ओर तो
वे अपनी काथलिक स्मिता को बनाये रखें दूसरी ओर अपने कार्यों से पवित्र आत्मा के विभिन्न
वरदानों का साक्ष्य देते रहें। ऐसा करने करने से ही बहुत से लोग इसके सदस्य बनेंगे
और संगठन मजबूत होगा।