2008-11-01 11:52:08

प्रज्ञा की खोज करें जो ईश्वर से आती है-संत पापा


संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने छात्र– छात्राओं को प्रोत्साहन देते हुए कहा है कि वे उस प्रज्ञा की खोज करें जो ईश्वर से आती है और उस ज्ञान से सावधान रहें जो उनके लिये भटकाव का कारण बनती है।

संत पापा ने उक्त बातें उस समय कहीं जब वे संत पेत्रुस महागिरजाघर में महाविद्यालयों के नये सत्र के उद्घाटन के लिये आयोजित यूखरिस्तीय समारोह में प्रवचन दे रहे थे।

संत पापा ने कहा कि दुनियावी ज्ञान ईश्वर के ज्ञान से बिल्कुल भिन्न नहीं है पर अगर दुनियावी ज्ञान हमें ईश्वर से दूर ले जाता है तो इससे हमें जीवन में न खुशी मिलेगी न ही यह जीवन में सफलता प्रदान करेगी।

इस अवसर पर ईश्वरीय प्रज्ञा को समझाते हुए पोप ने आगे कहा कि ईश्वर का ज्ञान हमें येसु मसीह के इच्छा के अनुसार जीवन जीने के लिये प्रेरित करता है और हमारी आँखों को खोल देता है ताकि हम ईश्वरीय प्रेम को बाँट सकें और सदा सत्य के पथ पर चल सकें।

इस अवसर पर संत पापा ने प्रेरित संत पौल की याद दिलाते हुए कहा कि संत पौल के लिये वह व्यक्ति सबसे बड़ा अज्ञानी है जो घमंडी है। और जो अपने ज्ञान पर घमंड करता है और ईश्वर की इच्छा के अनुसार नहीं चलता है तो वह जीवन में सफलता प्राप्त नहीं कर सकता हैं।

संत पापा ने कहा कि शिक्षा का लक्ष्य है आध्यात्मिक ज्ञान अर्थात् आंतरिक रूप से सुदृढ़ होना और येसु को अपने जीवन में सर्वोत्तम स्थान देना, और सदा ईश्वर को उसके वरदानों के लिये धन्यवाद देना है।















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