बुधवारीय - आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें का संदेश
बुधवारीय आमदर्शन समारोह में संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने संत पेत्रुस महागिरजाघर के
प्रांगण में एकत्रित हजारों तीर्थयात्रियों को विभिन्न भाषाओं में सम्बोधित किया। उन्होंने
अंग्रेजी भाषा में कहा-
प्रिय भाइयो एवं बहनों, आज की धर्मशिक्षा में हम पुनः
संत पौल के जीवन पर विचार करें। संत पौल के प्रवचन का केन्द्र बिंदु था प्रभु येसु का
क्रूस। संत पौल को महिमान्वित येसु ने दमस्कुस के रास्ते दर्शन दिये। इस दर्शन के बात
संत पौल को इतना दृढ़ विश्वास हो गया कि येसु मसीह जिसे लोगों ने मार डाला वे सबों की
मुक्ति के लिये जी उठे हैं. ।
इस घटना के बाद संत पौल को येसु के क्रूस औऱ
मृत्यु के रहस्य की समझ आ गयी। वह समझ गया की ईश्वर दयालु है और वह अपने भक्तों की सदा
ही रक्षा करता है।
बाद में इसी बात को संत पौलुस ने कोरिन्थियों को लिखे अपन
पत्र में बताते हुए कहा है कि वे बेकार की बातों का उपदेश देने के लिये नहीं आये हैं,
पर सिर्फ एक बात को बताना चाहते हैं कि प्रभु येसु मसीह मृतकों में से जी उठे हैं।
जिस
क्रूस को लोग तिरस्कार और लज्ज़ा का कारण समझते थे उसी से ईश्वर ने अपनी प्रज्ञा और महिमा
प्रकट की है।
आज ईश्वर की ओर से हमारे लिये एक आमंत्रण है कि हम भी क्रूस पर
से येसु की पुकार को सुनें और उसकी मुक्ति को स्वीकार करें।
येसु ने क्रूस की
अपनी मृत्यु के द्वारा दुनिया को पाप से बचाया।
संत पौल भी आज हमसे कहते हैं
कि हम भी अपनी कमजोरियों, पापों और अपने शारीरिक झुकावों को क्रूस पर चढ़ायें। अर्थात्
उन पापों से अपने आपको दूर रखें ताकि हम येसु के पुनरुत्थान के सहभागी बन सकें।
जब
हम अपनी कमजोरियों को दिल से स्वीकार करेंगे और इसके लिये पश्चाताप करेंगे तो ईश्वर हमें
अवश्य ही अपनी शक्ति प्रदान करेगा और हम नये जीवन की खुशी का अनुभव प्राप्त कर पायेंगे।
इतना
कहकर संत पापा ने अपना संदेश समाप्त किया।
उन्होंने इंगलैंड, वियेतनाम स्वीडेन,
नोर्वे, कोरिया, ऑस्ट्रेलिया, आयरलैंड और अमेरिका के तीर्थयात्रियों पर प्रभु की कृपा
और शांति की कामना की और उपस्थित लोगों और उनके परिवारों को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद
दिया।