अंतरधार्मिक वार्ता संबंधी परमधर्मपीठीय परिषद् के अध्यक्ष कार्डिनल ज्यां लूई तोरान
और सचिव महाधर्माध्यक्ष पियेर लूईजी चेलाता ने हिन्दुओं को दीपावली महोत्सव की शुभकामनाएँ
दी हैं। ख्रीस्तीय और हिन्दू अहिंसा के पक्ष में एक साथ शीर्षक से जारी संदेश में सत्य,
प्रकाश और आशा के पर्व दीपावली के अवसर पर आज के समाज में सौहार्दपूर्ण जीवन जीने के
विषय पर चिंतन करने के लिए ख्रीस्तीयों और हिन्दुओं का आह्वान किया गया है। अहिंसा के
पुजारी राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की प्रशंसा करते हुए अहिंसा के महत्व पर प्रकाश डालते
हुए कहा गया है कि समाज की अनेक बुराईयों के लिए बहुधा धर्मों को दोष दिया जाता है जबकि
हम जानते हैं कि धर्म की मौलिक मान्यताओं के विपरीत हिंसा के विभिन्न रूपों का औचित्य
सिद्ध करने के लिए धर्म का दुरूपयोग किया जाता है। संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने कहा
था कि आज दुनिया में बहुत अधिक हिंसा, बहुत अधिक अन्याय है और इस परिस्थिति का सामना
और अधिक प्रेम तथा और अधिक भलाई के बल पर किया जा सकता है। यह और अधिक प्रेम तथा भलाई
ईश्वर से ही मिल सकती है। ईश्वर की दया से ही इस संसार में बुराई के बदले भलाई को बढ़ावा
दिया जा सकता है और यह सब छोटा, निर्णायक परिवर्तन मानव के हदय में ही आरम्भ होता है।
संदेश में कहा गया है कि अहिंसा न केवल एक तकनीकि तरीका है लेकिन एक व्यक्ति की मनोवृत्ति
है जो ईश्वर के प्रेम और ताकत के प्रति दृढ़मत है कि बुराई का सामना प्रेम और सत्य रूपी
हथियार के बल पर करने से वह नहीं डरता है। अन्य विभिन्न धर्म अहिंसा को प्रोत्साहन देते
हैं। धार्मिक नेताओं का आह्वान किया जाता है कि वे अहिंसा के प्रसार हेतु कार्य करें।
मानवजीवन की मर्यादा, निर्धनों की भलाई और वार्ताओं के माध्यम से जाति धर्म वंश का भेदभाव
किये बिना सबलोगों की मर्यादा की रक्षा और प्रसार के लिए काम करें। आज के वैश्विक विश्व
की रचना करने के लिए अहिंसा की धारणा में आगे बढ़े तथा ऐसे समाज की रचना करें जो अधिक
सहानुभूतिपूर्ण, अधिक न्यायी और अधिक परवाह करनेवाला हो।