उड़ीसा सरकार ने भारतीय संविधान का मज़ाक उड़ाया – वामपंथी
संसद में चल रहे बहस के दौरान वामपंथी दलों ने उड़ीसा की बीजेपी और बीजेडी गठबंधन सरकार
पर आरोप लगाया है कि उन्होंने ईसाई विरोधी हिंसा के दरमियान भारतीय संविधान का मज़ाक
उड़ाया है।
कम्युनिस्ट पार्टी के अकारिया ने उड़ीसा में हुए ईसाई विरोधी हिंसा
मुद्दा सदन में उठाते हुए कहा कि उड़ीसा और कर्नाटक में निर्दोष ईसाइयों की बर्बरतापूर्वक
हत्या की गयी और इसलिये यही कहा जा सकता है कि उड़ीसा की वर्तमान ईसाई विरोधी हिंसा और
2002 में हुए गुजरात दंगा में कोई अन्तर नहीं है।
उन्होंने कहा कि स्वामी लक्ष्मानन्दा
की हत्या के मात्र एक घंटा बाद ही बजरंग दल और विश्व हिंदु परिषद् के लोगों ने ईसाइयों
पर आक्रमण किये और उनके घरों को जला दिया।
उन्होंने कहा कि यह बात उन्हें समझ
में नहीं आता कि इसके बावजूद कि माओवादियों ने हत्या की खुलकर जिम्मेदारी ली हिन्दु संगठन
क्यों इस बात पर अड़े हुए हैं कि ईसाइयों ने स्वामी की हत्या की है। इस बात को सुन कर
बीजेपी और बीजेडी के सदस्य उत्तेजित हो गये।
बहस को आगे बढ़ाते हुए केन्द्रीय
मंत्री मणिशंकर अय्यर ने नवीन पटनायक की जमकर आलोचना करते हुए कहा कि एक धर्मनिरपेक्ष
व्यक्ति के रूप में जाने वाले नवीन पटनायक ने ईसाई विरोधी दंगा को नहीं रोक पाना पटनायक
सरकार की बहुत बड़ी अक्षमता है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर नवीन पटनायक बीजपी जैसे साँप
के साथ सोयेंगे तो उसे साँप काटेगा ही।
केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि ईसाई विरोधी
हिंसा राजनीतिक षडयंत्र का परिणाम था और इसी राजनीतिक षडयंत्र में पटनायक का दावा की
वे धर्मनिर्पेक्ष है पूरी तरह से झूठी सिद्ध हो गयी। बीजेपी सदा की तरह रट लगाती रही
है कि धर्मपरिवर्तन ही हिंसा का कारण है पर धर्म परिवर्तन को कारण वना कर निर्दोंषों
पर इतना बर्बरतापूर्ण हिंसा करना कहाँ की न्याय है।