नई दिल्लीः भारत के एक ख्रीस्तीय मंच द्वारा उड़ीसा सरकार की धर्मनिर्पेक्ष दलील की आलोचना
भारत के एक ख्रीस्तीय मंच ने उड़ीसा सरकार की उस दलील की कटु आलोचना की है जिसमें सरकार
ने कहा था कि वह हाल की हिंसा में क्षतिग्रस्त गिरजाघरों के पुनर्निर्माण के लिये मुआवज़ा
नहीं दे सकती क्योंकि इससे राज्य की धर्मनिर्पेक्ष नीति का उल्लंघन होगा। भारतीय
ख्रीस्तीयों की सार्वभौम समिति ने कहा कि सरकार की यह दलील उसकी पक्षपाती नीति को स्पष्ट
दर्शाती है जिसके तहत ख्रीस्तीयों के विरुद्ध भेदभाव किया जाता है। यह बताकर कि गिरजाघरों
एवं ख्रीस्तीय केन्द्रों पर 23 अगस्त के बाद हिन्दु चरमपंथियों द्वारा किये गये आक्रमण
में तीन करोड़ रुपयों से अधिक का नुकसान हुआ है कटक भूबनेश्वर के काथलिक महाधर्माध्यक्ष
राफायल चीनत ने कुछ समय पूर्व देश के सर्वोच्च न्यायालय में एक अपील दायर कर मांग की
थी कि क्षतिग्रस्त गिरजाघरों के पुनर्निर्माण के लिये उड़ीसा सरकार मुआवज़ा दे। उड़ीसा
सरकार ने सोमवार को इस मांग को खारिज़ करते हुए एक हलफ़नामें में यह दलील पेश की थी कि
राज्य की धर्मनिरपेक्ष नीति के तहत महाधर्माध्यक्ष चीनत की मांग पर कंधमाल ज़िले में
सांप्रदायिक हिंसा के दौरान क्षतिग्रस्त गिरजाघरों के पुनर्निर्माण के लिए वह धन नहीं
दे सकती।
भारतीय ख्रीस्तीय मंच के नेता साजन के. जॉर्ज ने कहा कि सरकार यह भूल
रही है कि गिरजाघरों को आग के हवाले कर ध्वस्त कर दिया गया था वे अपने आप ध्वस्त नहीं
हुए थे जो कानून एवं व्यवस्था लागू करनेवालों की विफलता को स्पष्ट दर्शाता है।
उन्होंने
कहा कि यदि उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक सचमुच में राज्य की धर्मनिपेक्ष नीति का
पालन करना चाहते तथा राष्ट्रीय अखण्डता को प्रोत्साहित करना चाहते हैं तो उन्हें गिरजाघरों
का पुनर्निर्माण अपनी नैतिक ज़िम्मेदारी समझकर करना चाहिये।