देवदूत संदेश प्रार्थना से पूर्व दिया गया संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें का संदेश
श्रोताओ, रविवार 19 अक्तूबर को, संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने इटली के नेपल्स नगर के
समीप स्थित पोम्पेई शहर की एकदिवसीय तीर्थयात्रा की। वे अवर लेडी आफ द रोजरी इन पोम्पेई
प्रसिद्द मरियम तीर्थालय की भेंट करने वाले तीसरे संत पापा हैं। सन् 79 में माऊंट विसूवियस
में हुए ज्वालामुखी विस्फोट के बाद निकले लावा में दबकर पोम्पेई शहर नष्ट हो गया था।
1796 वर्ष बाद पुनः सन 1872 में नये पोम्पेई शहर का विकास हुआ जब धन्य बारतोलो लोंगो
ने अवर लेडी आफ द रोजरी को समर्पित गिरजाघर का निर्माण कराया। इस मरियम तीर्थालय में
माता मरियम की एक तस्वीर है और कहा जाता है कि माता मरियम की मध्यस्थता से अनेक चमत्कार
हुए हैं,लोगों को चंगाई मिली है। मरियम तीर्थालय के प्रांगण में निर्मित मंच के सामने
लगभग 50 हजार विश्वासियों ने रविवार को संत पापा का स्वागत कर उनकी अध्यक्षता में सम्पन्न
समारोही ख्रीस्तयाग में भाग लिया। समारोही ख्रीस्तयाग की समाप्ति पर देवदूत प्रार्थना
का पाठ करने से पूर्व अपने संदेश में संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने कहाः
समारोही
ख्रीस्तयाग और पोम्पेई की मरियम को अर्पित पारम्परिक प्रार्थना का पाठ करने के बाद प्रत्येक
रविवार के सदृश, मैं पुनः देवदूत प्रार्थना का पाठ करने के साथ ही अपनी दृष्टि माता मरियम
की ओर उठाना और उनके चरणों में कलीसिया तथा सम्पूर्ण मानवजाति के दो महान प्रार्थना मनोरथों
को अर्पित करना चाहता हूँ। हम विश्व धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के लिए प्रार्थना करें जो
कलीसिया के जीवन और मिशन में ईशवचन शीर्षक से सम्पन्न हो रही है ताकि इसके द्वारा प्रत्येक
ख्रीस्तीय समुदाय में यथार्थ नवीनीकरण के फल उत्पन्न हों। एक अन्य विशेष प्रार्थना मनोरथ
है विश्व मिशनरी दिवस, प्रेरित संत पौलुस को अर्पित इस वर्ष में गैर यहूदियों के प्रेरित
इस संत के संदेश पर चिंतन करने के लिए आमंत्रित करता हैः धिक्कार मुझे यदि मैं सुसमाचार
का प्रचार न करूँ।
इस अक्तूबर माह में, मिशन और रोजरी माला प्रार्थना के महीना
में अनेक विश्वासी और समुदाय रोजरी माला प्रार्थना को मिशनरियों और सुसमाचार प्रचार के
लिए अर्पित करते हैं। आज यहाँ पोम्पेई में रोजरी माला की महारानी धन्य कुँवारी मरियम
को समर्पित इस अति महत्वपूर्ण तीर्थालय में स्वयं को पाकर मैं हर्षित हूँ। वस्तुतः यह
मुझे एक अवसर प्रदान करता है कि मैं इस तथ्य पर और अधिक जोर देकर कहूँ कि प्रार्थना करना
प्रत्येक जन का मिशनरी दायित्व है। प्रार्थना के द्वारा ही सुसमाचार का मार्ग प्रशस्त
होता है। प्रार्थना करने के द्वारा ही ईश्वर के रहस्यों के प्रति हदय खुल जाते हैं और
आत्माएँ मुक्ति के शब्दों को ग्रहण करने के लिए तैयार होती हैं।
आज के दिन एक
अन्य आनन्ददायक संयोग है कि फ्रांस के लिस्यू में लुईस मार्टिन और जेलिये गुवेरिन को
धन्य घोषित किया जा रहा है जो बालक येसु की संत तेरेसा के अभिभावक हैं। सत पियुष ग्यारहवें
ने संत तेरेसा को मिशनरियों की संरक्षिका संत घोषित किया था। इन नवीन धन्यों ने अपनी
प्रार्थना और सुसमाचार का साक्षी देने के द्वारा अपनी पुत्री को सहयोग दिया जिसने ईश्वर
के बुलावे को सुनकर कार्मेल मठ की चारदीवारी के अंदर रहकर स्वयं को ईश्वर को पूर्ण समर्पित
कर दिया। मठ के अंदर ही सत तेरेसा ने अपनी बुलाहट कलीसिया के हदय में ,जो मेरी माँ है,
मैं प्रेम बनूँगी को सार्थक बनाया। लिस्यू में आयोजित धन्य घोषणा समारोह का स्मरण करते
हुए मैं एक अन्य मनोरथ के लिए प्रार्थना का विनम्र आग्रह करता हूँ जो मेरे दिल के समीप
है वह है परिवार। संसार और इसकी समस्याओं के सामने खुलेपन और जिम्मेदारी की सार्वभौमिक
भावना में बच्चों का शिक्षण और पालन पोषण करना तथा मिशनरी जीवन की बुलाहटों के निर्माण
में परिवार की मौलिक भूमिका है। जनवरी 2009 में मेक्सिको सिटी में सम्पन्न होनेवाले
परिवारों के 6 वें अतरराष्ट्रीय सम्मेलन को दृष्टिगत करते हुए मैं विश्व के सब परिवारों
के लिए अवर लेडी आफ पोम्पेई के ममतामयी संरक्षण की कामना करता हूँ।
अंत में
संत पापा ने सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।