2008-10-18 13:44:40

ईश वचन में सृष्टि और अंतःकरण को जोड़ने से सुसमाचार प्रचार प्रभावपूर्ण – कार्डिनल जेन


हाँगकाँग के कार्डिनल जोसेफ जेन जे कियुन ने कहा है कि जब हम ईश वचन के बारे में विचार करते हैं तो हम सृष्टि और अंतःकरण को इससे अलग नहीं कर सकते हैं। इन दोनों बातों को सुसमाचार के प्रचार में जोड़ने से ही सुसमाचार प्रचार प्रभावपूर्ण होगा।
कार्डिनल के अनुसार ईशवचन सबसे पहले सृष्टिकर्ता ईश्वर हैं जिन्होंने इस सुन्दर दुनिया को बनाया। इतना ही नहीं उसने मानव की सृष्टि की और उसे विवेक और अन्तःकरण प्रदान किया जिससे हम अपने सृष्टिकर्त्ता ईश्वर से अपना घनिष्ठ संबंध स्थापित कर सकें।


उन्होंने कहा कि ईश्वर का बीज सब संस्कृति और परंपराओं में है पर जिसे हम नज़रअंदाज़ नहीं कर सकते हैं ।


उन्होंने चीन का उदाहरण देते हुए कहा कि वहाँ पर ईश्वर का वचन जैसा हम जानते हैं वैसा नहीं सुनाया गया है पर वहाँ के लोगों में ईश्वर ने दिव्य वचन का बीच व्याप्त है इसके बारे में और अधिक ज्ञान प्राप्त करने की आवश्यकता है जिससे सुसमाचार प्रचार और भी अधिक प्रभावपूर्ण होगा।
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उन्होंने आगे कहा कि चीन में 6 मुख्य धर्मावलंबी एक साथ रहते हैं जिनका संबंध अगर अच्छा हो तो चीन की परंपरागत अच्छाइयों को बरकरार रखा जा सकता है और इसे परिस्कृत भी किया जा सकता है।


उन्होंने यह भी बताया कि चीन में काथलिक धर्म कनफ्यूसस के सिद्धांतों के साथ एक साथ चलने के लिये तैयार है। काथलिक धर्म कनफ्युसस के सिद्धांत के अनुसार चलने वाले अनुययियों के साथ मिलकर चीनी परंपरा की अच्छाइयों को युवाओं मन दिल में डाल सकेंगे तो इससे एक नयी दुनिया का निर्माण हो पायेगा।

उन्होंने आगे बताया कि चीनी संस्कार में ईमानदारी वफादारी और आत्मसंयम को बहुत ही महत्व दिया जाता है। इन मूल्यों को सुसमाचार प्रचार करते हुए और अधिक प्रभावपूर्ण बनाये जाने की आवश्यकता है।








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