देवदूत प्रार्थना से पूर्व दिया गया सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें का सन्देश
श्रोताओ, रविवार 12 अक्तूबर को, रोम के सन्त पेत्रुस महामन्दिर के प्राँगण में एकत्र
लगभग चालीस हज़ार तीर्थयात्रियों की उपस्थिति में, सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने इटली
के पुरोहित गायतानो एरिको, स्विटज़रलैण्ड की मरिया बेरनारदा बटलर, स्पेन की लोकधर्मी
महिला नारचिसा मोरान के साथ साथ केरल स्थित कोट्टायम ज़िले के पालाय धर्मप्रान्त की धर्मबहन
सि. आल्फोनसा को सन्त घोषित कर भारत को प्रथम काथलिक महिला सन्त का वरदान प्रदान किया।
सन्त घोषणा के उपलक्ष्य में अर्पित ख्रीस्तयाग के बाद सन्त पापा ने उपस्थित भक्त समुदाय
के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया। इस प्रार्थना से पूर्व उन्होंने भारत, ईराक तथा
कॉन्गो गणतंत्र में जारी हिंसा की समाप्ति का आव्हान किया।
रविवार को सि. आलफोन्सा
के सन्त घोषणा समारोह में भाग लेने केरल मात्र से लगभग 500 तीर्थयात्री रोम पहुँचे थे।
भारत सरकार की ओर से केन्द्रीय श्रम संगठन मंत्री ऑस्कर फरनानडेज़ के नेतृत्व में 12
सदस्यीय शिष्ठमण्डल भी सन्त घोषणा समारोह में उपस्थित हुआ। इनके अतिरिक्त यूरोप के विभिन्न
देशों में जीवन यापन करनेवाले केरल के कुछ दस हज़ार आप्रवासियों ने फ्राँसिसकन क्लेरिस्ट
धर्मसंघ की सदस्या सि. आल्फोनसा के सन्त घोषणा समारोह में भाग लिया। इस अवसर पर ख्रीस्तयाग
प्रवचन में सन्त पापा ने सि. आलफोन्सा को उस धर्मी महिला के रूप में प्रस्तुत किया जिनका
यह विश्वास दृढ़ था कि उनकी पीड़ा ही पवित्रता को प्राप्त करने का माध्यम थी। पीड़ा ही
उन्हें उस स्वर्गिक भोजन का पान करा सकती थी जिसे ईश्वर ने उनके लिये तैयार किया था।
रविवारीय सुसमाचार पाठ के सन्दर्भ में सन्त पापा ने कहा कि विवाह भोज का निमंत्रण स्वीकार
कर तथा प्रार्थना और पश्चाताप द्वारा ईश कृपा का वस्त्र धारण कर उन्होंने अपना जीवन ख्रीस्त
के प्रति समर्पित कर दिया और अब वे ईश राज्य में उत्कृष्ट भोजन का आनन्द उठा रहीं हैं।
ख्रीस्तयाग समारोह के बाद सन्त पापा ने अपनी रविवारीय परम्परा को जारी रखते हुए
देवदूत प्रार्थना का पाठ किया। इस प्रार्थना से पूर्व उन्होंने भारत के तीर्थयात्रियों
को सम्बोधित कर कहा ................................................................................
"अँग्रेज़ी भाषा भाषी तीर्थयात्रियों का मैं सहृदय अभिवादन करता हूँ, विशेष रूप से,
भारत सरकार की ओर से पधारे शिष्ठमण्डल तथा सि. आलफोन्सा के सन्त घोषणा समारोह में भाग
लेने रोम पहुँचे सभी तार्थयात्रियों का मैं स्वागत करता हूँ। अकथनीय पीड़ा के बीच सि.
आलफोन्सा के वीरोचित गुण, उनका धैर्य तथा उनकी सहनशीलता हमें स्मरण दिलाती है कि प्रभु
ईश्वर हमें हर कठिनाई को झेलने की शक्ति प्रदान करते हैं। भारत की प्रथम सुपुत्री सि.
आलफोन्सा को वेदी का सम्मान प्रदान किये जाने पर ईश्वर के प्रति धन्यवाद ज्ञापित करनेवाले
भारत के ख्रीस्तीय धर्मानुयायियों को इस संकटपूर्ण समय में मैं अपनी प्रार्थनाओं का आश्वासन
देता हूँ। शांति एवं पुनर्मिलन की प्राप्ति हेतु प्रयासरत लोगों को सर्वशक्तिमान ईश्वर
के संरक्षण के सिपुर्द कर हिंसा में लिप्त आततायियों से मैं आग्रह करता हूँ कि वे इन
हिंसक कृत्यों का परित्याग करें तथा प्रेम की सभ्यता के निर्माण हेतु अपने भाई बहनों
के साथ मिलकर काम करें। ईश्वर आप सबको आशीष दें।"
तदोपरान्त इताली भाषा में भी
सन्त पापा ने भारत के विभिन्न क्षेत्रों में ख्रीस्तीयों पर हो रहे अत्याचारों पर रोक
लगाने का मांग की। साथ ही ईराक के ख्रीस्तीयों के उत्पीड़न तथा कॉन्गो गणतंत्र में मानवाधिकारों
के उल्लंघन को समाप्त किये जाने का आव्हान किया। उन्होंने कहाः "आप सबको मैं आमंत्रित
करता हूँ कि आप उन कुछेक गम्भीर स्थितियों के बदलने के लिये प्रभु से याचना करें जो घोर
उत्पीड़न का कारण बनी हुई हैं। मैं इस क्षण कॉन्गो गणतंत्र के उत्तरी कीवू के लोगों की
याद कर रहा हूँ, साथ ही मैं ईराक तथा भारत में अतिवादियों की हिंसा का शिकार बनाये जा
रहे ख्रीस्तीय धर्मानुयायियों का विचार कर रहा हूँ जिनके लिये मैं प्रतिदिन प्रभु ईश्वर
से प्रार्थना करता हूँ। इन सबको तथा रोम में जारी विश्वधर्माध्यक्षीय धर्मसभा को हम,
सन्तों का महारानी माँ मरियम के ममतामयी संरक्षण के सिपुर्द करें।"
इतना कहकर
सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने उपस्थित तीर्थयात्रियों के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ
किया तथा सब पर प्रभु की शांति का आह्वान कर सबको अपना प्रेरितिक आर्शीवाद प्रदान किया
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स्मरण रहे कि कॉन्गो गणतंत्र के उत्तरी
कीवू में 28 अगस्त को सरकारी सुरक्षा बलों तथा विद्रोही दलों के बीच युद्ध विराम के भंग
होने के बाद से लड़ाई फिर छिड़ गई है। ईराक में, विशेषकर मोसुल शहर में ख्रीस्तीयों के
विरुद्ध चरमपंथियों एवं आतंकवादियों के अत्याचार जारी हैं जिनमें विगत दस दिनों में कम
से कम 20 व्यक्तियों की हत्या हुई है। भारत में उड़ीसा के कंधामाल ज़िले में हिन्दु चरमपंथी
अभी भी आतंक मचा रहे हैं। रोम में इस समय जारी विश्व धर्माध्यक्षीय धर्मसभा में भारतीय
काथलिक धर्माध्यक्षों द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट में बताया गया कि अगस्त माह से सघन हुई
ख्रीस्तीय विरोधी हिंसा में 80 से अधिक ख्रीस्तीयों की हत्या हुई है, 100 से अधिक गिरजाघरों
को आग के हवाले कर दिया गया है तथा हज़ारों ख्रीस्तीय अपने घरों का पलायन करने के लिये
बाध्य हुए हैं। हिंसा के शिकार इन सभी लोगों के लिये सन्त पापा ने प्रार्थना की अपील
की है। ...........आईये अब सुनते हैं सि. आल्फोन्सा के आदर में रचा गया एक गीत.....