वाटिकन सिटीः हैफा के प्रधान रब्बी की टिप्पणी के बाद कार्डिनल बेरतोने ने सन्त पापा
पियुस के बचाव में वकतव्य दिया
वाटिकन में पाँच से 26 अक्तूबर तक जारी विश्वधर्माध्यक्षीय धर्मसभा में यहूदियों की ओर
से पहली बार धर्मसभा को सम्बोधित करने के उपरान्त हैफा के प्रधान रब्बी शियर यीशु कोहेन
ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा कि सन्त पापा पियुस 12 वें को सन्त घोषित नहीं किया
जाना चाहिये क्योंकि उन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध के समय यहूदियों की रक्षा नहीं की
थी। रब्बी कोहेन ने कहा कि भले ही पियुस 12 वें ने गुप्त रूप से कुछेक यहूदियों की रक्षा
की हो सार्वजनिक रूप से उन्होंने हिटलर एवं उसकी हिंसक नीतियों की निन्दा नहीं की थी।
रब्बी कोहेन के वकतव्य पर प्रतिक्रिया दर्शाते हुए रोम में प्रकाशित एक नवीन
पुस्तक के प्राक्कथन में वाटिकन के राज्य सचिव कार्डिनल तारचिसियो बेरतोने ने लिखा कि
अपने विवेकी तरीकों के परिणास्वरूप ही सन्त पापा पियुस 12 वें हज़ारों यहूदियों एवं शरणार्थियों
की रक्षा करने में सफल हो सके थे। कार्डिनल महोदय ने कहा सन्त पापा पियुस न ही मौन थे
और न ही सामीवाद विरोधी बल्कि अपने गुप्त कार्यों द्वारा उन्होंने महान सूझबूझ एवं विवेक
का परिचय दिया। कार्डिनल बेरतोने ने कहा कि यदि सन्त पापा पियुस सार्वजनिक हस्तक्षेप
करते तो उन हज़ारों यहूदियों का जीवन ख़तरे में पड़ जाता जो रोम के 155 धर्मसंघी आश्रमों
एवं काथलिक मठों में शरण ले रहे थे।
स्मरण रहे कि परमाध्यक्षीय पद ग्रहण करने
से पहले महाधर्माध्यक्ष यूजीन पाच्चेली अर्थात् सन्त पापा पियुस 12 वें जर्मनी में प्रेरितिक
राजदूत पद पर काम कर चुके थे तथा वाटिकन के राज्य सचिव रह चुके थे। यूरोप में द्वितीय
विश्व युद्ध छिड़ने से कुछ माह पूर्व ही सन् 1939 ई. में वे सन्त पापा पद पर नियुक्त
किये गये थे। वाटिकन ने उनकी सन्त घोषणा के लिये प्रकिया आरम्भ कर दी है किन्तु कुछ यहूदी
दल इसका विरोध करते रहे हैं।