देवदूत प्रार्थना से पूर्व दिया गया संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें का सन्देश
श्रोताओ, रविवार 5 अक्तूबर को संत पेत्रुस महामंदिर के प्रांगण में देश-विदेश से आये
लगभग 20 हजार तीर्थयात्रियों को संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने प्रेरितिक प्रासाद के झरोखे
से दर्शन दिये और उनके साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया। इस प्रार्थना से पूर्व दिये
गये अपने सम्बोधन में उन्होंने कहा-
अतिप्रिय भाईयो और बहनो, आज सुबह संत पौल
महामंदिर में सम्पन्न यूखरिस्त समारोह के साथ ही मैंने 12 वें विश्व धर्माध्यक्षीय धर्मसभा
का उद्घाटन किया जो अगले तीन सप्ताह तक वाटिकन में सम्पन्न होगी। इसका शीर्षक है कलीसिया
के जीवन और मिशन में ईशवचन। आप इस विशिष्ट धर्मसभा के महत्व और कार्य़ को जानते हैं।
धर्माध्यक्षों की धर्मसभा जो विश्व के सब धर्माध्यक्षों का प्रतिनिधित्व करते हैं संत
पेत्रुस के उत्तराधिकारी की सहायता करने के लिए एकसाथ बुलाये गये हैं। यह कलीसियाई सामुदायिकता
को प्रदर्शित करने के साथ ही इसे मजबूती प्रदान करती है। यह एक महत्वपूर्ण निकाय है जिसकी
स्थापना मेरे पूर्वाधिकारी वंदनीय प्रभु सेवक संत पापा पौल षष्टम ने द्वितीय वाटिकन महासभा
के उत्तरार्द्ध में सितम्बर 1965 में किया था। इसका उददेश्य है- संत पापा और विश्व के
सब धर्माध्यक्षों के मध्य एकता और सहयोग को बढ़ावा देना, कलीसिया की स्थिति और इसके सामने
प्रस्तुत समस्याओं पर प्रत्यक्ष और सटीक जानकारी देना, धर्मसैद्धांतिक और मेषपालीय गतिविधियों
पर सहमति को मजबूत करना एवं महत्वपूर्ण सार्थक मुददों का जवाब देना। इन विभिन्न कार्यों
का संयोजन एक स्थायी विभाग द्वारा किया जाता है जो रोम के धर्माध्यक्ष के प्राधिकार के
अधीन प्रत्यक्ष और सीधे उत्तरदायी रहकर कार्य करता है।
संत पापा ने आगे कहाः
धर्मसभा कलीसिया का मौलिक अंग है, प्रत्येक व्यक्ति और प्रत्येक संस्कृति का एकसाथ मिलकर
ख्रीस्त में एक होने के लिए आना है। वे एकसाथ उनके पीछे चल रहे हैं जिन्होंने कहाः मार्ग,
सत्य और जीवन मैं हूँ।
ग्रीक शब्द सिनोदोस, सिन और ओदोस से मिलकर बना है।
सिन का अर्थ है साथ, ओदोस का अर्थ है मार्ग। यह शब्द इस विचार का सुझाव देता है मिलकर
एक मार्ग पर चलना। और मुक्ति इतिहास में ईश प्रजा का वस्तुतः यही अनुभव है। विश्व धर्माध्यक्षों
की सामान्य धर्मसभा आज प्रारम्भ हो रही है। मैंने विचार विमर्श के बाद ईशवचन को शीर्षक
चुना है जिसपर कलीसिया के जीवन और मिशन में मेषपालीय संदर्भ में विशद् विचार विमर्श किया
जायेगा। धर्मसभा की तैयारी में सम्पूर्ण विश्व की कलीसिया ने धर्मसभा के सचिवालय को अपना
विशेष सहयोग दिया है। धर्मसभा के दौरान विचार विमर्श में सहायता के लिए कार्यकारी दस्तावेज
की तैयारी में उन्होंने सहयोग दिया है जिसपर धर्मसभा के 253 धर्माचार्यों द्वारा विचार
विमर्श किया जायेगा। इनमें 51 अफ्रीका, 62 अमरीका, 41 एशिया, 90 यूरोप और 9 ओशेनिया के
हैं। इन धर्माचार्यों के साथ ही अनेक बाइबिल विशेषज्ञ और अंकेक्षक, स्त्री और पुरूष,
अन्य कलीसियाओं और कलीसियाई समुदायों के बंधु प्रतिनिधि तथा विशेष आमंत्रित सदस्य इस
धर्मसभा में भाग लेंगे।
अतिप्रिय भाईयो और बहनो, मैं आप सबको आमंत्रित करता
हूँ कि वि्श्व धर्माध्यक्षीय धर्मसभा के कार्यों को अपनी प्रार्थना द्वारा समर्थन प्रदान
करें। विशेष रूप से कुँवारी माता मरियम की मध्यस्थता की याचना करें जो दिव्य शब्द की
आदर्श शिष्या हैं।
इतना कहकर संत पापा ने देवदूत प्रार्थना का पाठ किया और
तीर्थयात्रियों को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।