चरमपंथी हिन्दुओं का ईसाइयों की हत्या और आक्रमण का आर्थिक और सामाजिकः धर्माध्यक्ष अनजेलो
मुम्बई के प्रति धर्माध्यक्ष अनजेलो ने कहा है कि यह सरासर गलत है कि ईसाई बल पूर्वक
धर्मातरण के किसी प्रकार कार्यों में लिप्त है। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि
किसी भी धार्मिक संप्रदाय को अपने धर्म के बारे में दूसरों का बताने का अधिकार है और
व्यक्ति को यह भी अधिकार है कि वह अपनी इच्छा से दूसरे धर्म को स्वीकार करेय़ उन्होंने
यह भी कहा कि हिन्दु धर्म जितना मिशनरी है उतना तो कोई अन्य संप्रदाय नहीं है। धर्माध्यक्ष
ने कहा कि हाल ईसाइयों पर हो रहे हमलों के लिये हिन्दु चरमपंथियों के द्वारा दिये गये
कारणों में कोई दम नहीं है। स्वामी लक्ष्मणनन्दा की हत्या के लिये ईसाई समुदाय को
जिम्मेदार ठहराकर निर्दोष ईसाइयों की हत्या करना और उनके गिरजाघरों को नष्ट करना कुकृत्य
है। स्वामी लक्ष्मणनन्दा की हत्या की काथलिक कलीसिया ने पहले ही निन्दा की है। धर्माध्यक्ष
ने कहा कि द्वितीय वाटिकन महासभा के बाद काथलिक कलीसिया ने इस बात पर बल दिया है कि
ईसाइयों को चाहिये कि अन्य धर्मों के लोगों साथ सहयोग सद्भाव और आपसी सम्मान की भावना
के साथ अपने ख्रीस्तीय मूल्यों का साक्ष्य दें। इतना ही नहीं दूसरे धर्मों में व्याप्त
सब अच्छाइयों का को स्वीकार करें उसका सम्मान करें उसकी रक्षा करें और उनके धार्मिक मूल्यों
का प्रचार करें। चर्च की शिक्षा धर्म के मामले में किसी भी बल प्रयोग के सख्त ख़िलाप
है। उन्होंने आगे कहा कि चरमपंथी हिन्दुओं का ईसाइयों की हत्या और आक्रमण का आर्थिक
और सामाजिक है । ईसाइयों की अच्छी और अनुशासित शिक्षा ने सामाजिक सामंजस्य को प्रभावित
किया है । ग़रीब और कमजोर लोग शिक्षा पाकर अपने हक के लिये आवाज़ उठाने लगे तो उच्च वर्गीय
अतिवादी हिन्दुओं को यह पसन्द नहीं आया। वे चाहते हैं कि अन्यायपूर्ण स्थिति यथावत
वनी रहे जो दुर्भाग्यपूर्ण है।