आपसी सम्मान और सद्भावना के लिये कार्य करने का संकल्प
कोची में आयोजित प्रथम हिन्दु-ईसाई सम्मेलन में धर्मिक नेताओं ने संकल्प लिया है
कि वे आपसी सम्मान और सद्भावना के लिये कार्य करने के लिये तत्पर हैं। उन्होंने यह भी
कहा कि वे अपील करते हैं कि लोग एक दूसरे के धार्मिक विश्वास और प्रार्थनालयों का सम्मान
करें तब ही शांति और व्यवस्था कायम हो सकती है। ज्ञात हो कि केरल कैथोलिक बिशप्स कॉनफ्रेन्स
की पहल पर हिन्दुओं विभिन्न धर्मों के अनेक नेताओं ने मिलकर एक सम्मेलन किया और ईसाइयों
पर हो रहे आक्रमणों और हिसा की कड़ी निन्दा की। इस सभा ने कहा कि किसी भी संप्रदाय
के द्वारा बलपूर्वक किये गये धर्मांतरण का वे विरोध करते हैं। इसके साथ उन्होंने
संविधान का हवाला देते हुए इस बात पर बल दिया कि देश में अपने अंतःकरण के अनुसार किसी
भी धर्म को मानने या स्वीकार करने की स्वतंत्रता भी होनी ही चाहिये। इस अवसर पर सभा
में उपस्थित सदस्यों ने यह भी कहा कि किसी प्रकार के बलपूर्वक धर्मातरण या किसी पर कोई
धर्म को थोपने से और किसी भी पवित्र वस्तु का अनादर करने से लोगों के धार्मिक भावना
को ठेस पहुँचती है और धार्मिक देश शांति एवं सद्भाव पर प्रतिकूल असर पड़ता है। सभी
सदस्यों ने इस बात पर बल दिया कि देश के हर नागरिक का यह अधिकार दिया गया है कि वे किसी
भी धर्म को मानने के लिये स्वतंत्र हैं। दूसरों को बलपूर्वक किसी धर्म में लाने का प्रयास
न व्यक्ति का हित हैं न ही इससे देश का कल्याण होगा। उन्होंने इस बात पर भी लोगों
का ध्यान आकर्षित किया कि वे राजनीतिक पार्टियों की चालों से सावधान रहें। कई बार लोगों
की धार्मिक भावनाओं को उकसाते हुए नेता राजनीतिक लाभ प्राप्त करना चाहते हैं। केसीबीसी
के प्रवक्ता डॉ स्तीफन अलाथरा ने बताया कि इस अन्तरधार्मिक सभा का संचालन सीबीसीआई के
अध्यक्ष कार्डिनल वार्की विथायाथिल ने किया। सभा में भाग ने वालों में केरल के महाधर्माध्यक्ष
दानियेल अकारुपारामबिल, महाधर्माध्यक्ष बसेलियुस मार क्लीमिस, महाधर्माध्यक्ष अंद्रेय
थजाथ, 6 हिन्दु स्वामी और आर एस एस, विश्व हिन्दु परिषद् और हिन्दु एकेयावेथी के आठ नेताओं
ने भाग लि