मध्य एशियाई क्षेत्र के धर्माध्यक्षों को पंचवर्षीय पारम्परिक मुलाकात की समाप्ति पर
संत पापा का संदेश
कास्पियन सागर से चीन की पश्चिमी सीमा तक फैले मध्य एशियाई क्षेत्र के धर्माध्यक्षों
को पंचवर्षीय पारम्परिक मुलाकात की समाप्ति पर गुरूवार को सम्बोधित करते हुए संत पापा
बेनेडिक्ट 16 वें ने कहा कि मुख्य मेषपाल स्वयं को एकता की प्रार्थनापूर्ण इच्छा की नींव
पर आधारित करें तथा पुरोहितों और धर्मसमाजियों के साथ निकट सहयोग करते हुए अपने मेषपालीय
कार्यों को सम्पन्न करें। मध्य एशिया का व्यापक क्षेत्र भूमंडलीकरण के प्रभावों और चुनौतियों
से अप्रभावित नहीं रहा है उन्होंने धर्माध्यक्षों से आग्रह किया कि यह जानते हुए कि पवित्र
आत्मा के कार्यों का फल रहस्यमय है वे ख्रीस्तीय धर्म को सब लोगों के सामने प्रस्तुत
करें। उन्होंने कहा कि किसी भी प्रकार का छल प्रपंच, प्रतिबंध और अन्य कार्य लोगों को
आकर्षित नहीं कर सकता है। कोई भी सकारात्मक मानवीय कानून धार्मिक स्वतंत्रता के वैध अभ्यास
को नियंत्रित नहीं कर सकता है क्योंकि अपने धर्म का पालन और प्रसार करना सार्वभौमिक स्तर
पर स्वीकृत मूलभूत मानवाधिकार है। संत पापा ने कहा कि व्यक्ति प्रौढ़ और जिम्मेदार चिंतन
के बाद ही स्वयं को धर्म या मन परिर्वतन के लिए खोल सकता है उसे इस आंतरिक अनुभव के लिए
अनुमति प्राप्त होनी चाहिए। दिव्य अनुभूतियों से प्राप्त ज्ञान और उनका पालन करना अधिक
वैध और सहानुभूतिपूर्ण समाज की रचना में सहायक होता है।