2008-10-02 16:55:46

पूर्व की धर्मनिरपेक्षता संबंधी अवधारणा पश्चिमी जगत् की धर्मनिरपेक्षता संबंधी अवधारणा से भिन्न


लेबनान में बेरूत स्थित रिसर्च एंड डोक्यूमेंटेशन सेन्टर फोर अरबिक कि्शिचयानिटी एट द यूनिवर्सिटी ओफ सेंट जोसेफ के निदेशक येसु समाजी पुरोहित फादर समीर ख़लील समीर ने कहा है कि पूर्व के ईसाईयों के लिए यह विस्मयकारी है कि यूरोप के अनेक मिशनरियों ने अमरीका, एशिया और अफ्रीका में सुसमाचार का प्रचार प्रसार किया जबकि आज यूरोप अपने ख्रीस्तीय विश्वास की जड़ों से बहुत दूर चला गया है। विगत सप्ताह ग्रेनाडा में आयोजित 7 वें इंटरनेशनल कांफ्रेंस आफ कि्शिचयन अराबिक स्टडीज सम्मेलन के 180 प्रतिभागियों को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि पूर्व की धर्मनिरपेक्षता संबंधी अवधारणा पश्चिमी जगत् की धर्मनिरपेक्षता संबंधी अवधारणा से बहुत भिन्न है। पाश्चात्य जगत् की धर्मनिरपेक्षता का प्रयास है कि ख्रीस्तीय विश्वास की अभिव्यक्ति को सार्वजनिक स्थल या बहस से अलग कर इसे निजी मामला बनाना चाहता है जबकि पूर्व में सकारात्मक धर्मनिरपेक्षता है जो धर्म और राजनीति के मध्य भिन्नता को व्यक्त करने का प्रयास करती है लेकिन इसे एक दूसरे से अलग नहीं करती है। उन्होंने कहा कि धर्म को राजनैतिक निर्णय प्रकि्याओं से बाहर नहीं रखा जा सकता है क्योंकि धर्म मानवजाति की नैतिक परम्परा का प्रतिनिधित्व करती है। उन्होंने सब लोगों के लिए पूर्ण धार्मिक स्वतंत्रता उपलब्ध हो इसके लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय से और अधिक समर्पण प्रदर्शित करने का आह्वान किया।








All the contents on this site are copyrighted ©.