नई दिल्लीः भारत में ख्रीस्तीयों के विरुद्ध हिंसा के प्रति सरकार की निष्क्रियता पर
देश के काथलिक धर्माध्यक्ष नाराज़
भारत में ख्रीस्तीयों के विरुद्ध हिन्दु चरमपंथियों की हिंसा के प्रति सरकार की निष्क्रियता
पर देश के काथलिक धर्माध्यक्षों ने नाराज़गी प्रकट की है।
भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय
सम्मेलन ने विगत शुक्रवार को एक सन्देश जारी कर कहा कि ख्रीस्तीयों के विरुद्ध हिंसा
का औचित्य ठहराने के लिये हिन्दु चरमपंथी धर्मान्तरण का जो आरोप लगाते रहे हैं वह स्वास्थ्य,
शिक्षा, निर्धनता निवारण एवं मानव उत्थान के क्षेत्र में ख्रीस्तीयों के कार्यों पर रोक
लगाने हेतु कुछेक स्वार्थपरत लोगों द्वारा बनाई गई कुयोजना के सिवाय और कुछ भी नहीं है।
भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के अध्यक्ष कार्डिनल वारकी विथयाथिल तथा
महासचिव महाधर्माध्यक्ष स्तानिसलाव फेरनानडेज़ द्वारा हस्ताक्षरित उक्त सन्देश में कहा
गया कि भारत के ग्रामीण इलाकों में अभी भी जाति प्रथा कायम है तथा ख्रीस्तीयों पर धर्मान्तरण
का आरोप लगाने वालों को आशंका है कि कहीं निम्न जाति के लोग सत्ता में ना आ जायें। उन्होंने
इस बात की भी पुनरावृत्ति की कि बलात धर्मान्तरण काथलिक कलीसिया की शिक्षा के विरुद्ध
है। इस बात की ओर भी ध्यान आकर्षित कराया गया कि हिन्दु चरमपंथी यह आरोप लगाते आये हैं
कि भौतिक वस्तुओं का लालच देकर निर्धनों का धर्मान्तरण किया जाता है जबकि सच तो यह है
कि जो लोग ख्रीस्तीय धर्म का चयन करते हैं वे भारतीय संविधान द्वारा दी गई तमाम गारंटियों
से वंचित हो जाते हैं। यहाँ तक कि पुनर्धर्मान्तरण से इनकार करनेवाले कुछ लोगों ने अपने
प्राण तक न्यौछावर कर दिये हैं।
भारतीय धर्माध्यक्षों के सन्देश में आगे कहा
गया कि सरकार को इस बात के प्रति सचेत होना पड़ेगा कि ख्रीस्तीयों के विरुद्ध हुई हाल
की हिंसा से प्रजातंत्रवाद तथा देश की धर्मनिरपेक्षता पर धब्बा लगा है तथा अन्तरराष्ट्रीय
समुदाय के समक्ष भारत का छवि को महान क्षति पहुँची है।
सरकार का धर्माध्यक्षों
ने आव्हान किया कि मानवाधिकारों का उल्लंघन करनेवाले तथा निर्दोष लोगों में आतंक फैलानेवाले
सभी समाज और धर्म विरोधी तत्वों के विरुद्ध वह कठोर कार्रवाई करे। साथ ही हिन्दुत्व
अथवा और किसी अन्य नाम से आतंकवादियों को प्रशिक्षित करनेवाले सभी रूढ़िवादी दलों पर
प्रतिबन्ध लगाये।