1 अक्तूबर, 2008 को बुधवारीय - आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें
का संदेश
बुधवारीय आमदर्शन समारोह में संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने संत पेत्रुस महागिरजाघर के
प्रांगण में एकत्रित हजारों तीर्थयात्रियों को विभिन्न भाषाओं में सम्बोधित किया। उन्होंने
कहा-
प्रिय भाईयो एवं बहनों, कलीसिया के महान् प्रेरित संत पौल की धर्मशिक्षामाला
को जारी रखते हुए आज आइये हम संत पौल और बारह प्रेरितों के संबंध पर विचार करें।
इसमें
हम पाते हैं कि संत पौल अपने अधिकारियों का बहुत सम्मान करते थे ताकि वे उचित तरीके से
सुसमाचार का प्रचार कर सकें। येरुसालेम में सम्पन्न कलीसिया की महासभा में संत पौल ने
पूरे आत्म विश्वास से इस बात का समर्थन किया था कि ईसा मसीह ने गैरयहूदियों को मूसा के
नियमों से स्वतंत्र कर दिया है।
यहाँ यह भी ध्यान देने योग्य बात है कि कलीसिया
के विश्वास संबंधी निर्णयों में इस बात का सदैव ध्यान दिया गया कि ग़रीबो के हितों की
रक्षा की जाये।
बाद में अंतियोख में जब पीटर ने गैरयहूदियों के साथ मिलकर मांस
नहीं खाया यह सोचकरके कि इससे यहूदी को बुरा लगेगा तब पौल ने पीटर को डाँटा था और कहा
कि पीटर ने येसु के द्वारा दी गयी स्वतंत्रता के साथ समझौता किया है।
फिर भी बाद
में जब वे रोमियों को अपने पत्र लिख रहे थे तब पौल ने खुद ही इस बात को स्वीकार किया
कि हमारी स्वतंत्रता के कारण हम दूसरों को किसी प्रकार का बुरा उदाहरण न दें।
इस
प्रकार संत पौल का उदाहरण हमें सिखाता है कि ईश्वर के द्वारा इस बुलाये गये हैं कि
हम पवित्र आत्मा से प्रेरित होकर लोगों की सेवा के लिये पूरे उत्साह से कार्य करें।
इतना
कहकर संत पापा ने अपना संदेश समाप्त किया। उन्होंने प्रभु की कृपा और शांति की कामना
करते हुए इंगलैंड, आयरलैंड, ऑस्ट्रेलिया, जापान हांगकांग, दक्षिणी कोरिया, त्रिनिदाद,
तोबागो, कनाडा और अमेरिका के तीर्थयात्रियों पर अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।