2008-09-24 11:08:45

बुधवारीय-आमदर्शन समारोह के अवसर पर
संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें का संदेश


बुधवारीय आमदर्शन समारोह में संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में एकत्रित हजारों तीर्थयात्रियों को विभिन्न भाषाओं में सम्बोधित किया। उन्होंने अंग्रेजी भाषा में कहा-

प्रिय भाइयो एवं बहनों, आज की धर्मशिक्षा में हम पुनः संत पौल के जीवन पर विचार करें। संत पौल का येसु के बारह प्रेरितों के साथ एक विशेष संबंध था जिसका आभास हमें उसके प्रेरितिक पत्रों से मिलता है।

जब संत पौल ने गलातियों को पत्र लिखा था तब उसने अपनी येरुसालेम की यात्रा के बारे में चर्चा की है। उसमें संत पौलुस ने बताया है कि उन्होंने कलीसिया के महान् स्तंभ पीटर, जेम्स और जोन से विभिन्न मुद्दों पर सलाह माँगी थी।

संत पौल का विचार था कि गै़र-ईसाइयों को ईसा के बारे में बताने के मामले में येसु के करीबी शिष्यों से राय-मशविरा करना आवश्यक था। इसीलिये संत पौलुस ने उनसे सलाह माँगी और शिष्यों ने उसे और बारनाबस को उचित सलाह और सहायता दिये।

संत पौल ने आरंभिक ख्रीस्तीय परम्परा को लोगों के बीच लोकप्रिय किया और विशेष करके अंतिम ब्यारी, दुःखभोग, पुनरुत्थान और दिव्यदर्शनों के समय येसु ने जिन शब्दों को उच्चरित किये थे, का प्रचार जोर-शोर से किया।

संत पौल ने कहा कि येसु ने हमें पाप और मृत्य से बचाने के लिये क्रूस की मृत्यू स्वीकार की। उन्होंने ऐसा इसलिये इसलिये किया ताकि हमें मुक्ति प्राप्त हो सके।

और अब येसु जी उठे हैं और पवित्र यूखरिस्त में सदा हमारे लिये उपस्थित रहते हैं ताकि हम उनका व्यक्तिगत अऩुभव कर सकें।

जैसा कि संत पौल की शिक्षा ईसा मसीह के अपने व्यक्तिगत अनुभव के आधार पर था जिसे उसने दमस्कुस के रास्ते में पाया था उसी प्रकार हमें भी चाहिये कि हम अपने विश्वास को येसु के वचनों के आधार पर मजबूत करें।

ऐसा करने से हम पुनर्जीवित येसु का व्यक्तिगत अनुभव कर पायेंगे। तब हम पायेंगे कि पुनर्जीवित येसु कलीसिया के हर कार्य में विद्यमान हैं।

उन्होंने कहा कि आप संत पौल के समान अपने जीवन का नवीनीकरण कीजिये और विश्वास में मजबूत होइये।

इतना कहकर संत पापा ने अपना संदेश समाप्त किया। उन्होंने इंगलैंड, स्कैनडिनाभिया, अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया आयरलैंड के तीर्थयात्रियों पर प्रभु की कृपा और शांति की कामना की और सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।












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