नई दिल्लीः कर्नाटक में गिरजाघरों पर हुए हमलों की देश के काथलिक धर्माध्यक्षों द्वारा
निन्दा
नई दिल्लीः कर्नाटक में गिरजाघरों पर हुए हमलों की देश के काथलिक धर्माध्यक्षों ने कड़ी
निन्दा की है। भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन ने 15 सितम्बर को एक वकतव्य जारी
कर कहा है कि रविवार को कर्नाटक के विभिन्न भागों में गिरजाघरों एवं ख्रीस्तीय आराधना
स्थलों पर संदिग्ध हिन्दु अतिवादियों द्वारा किये हमलों से वे स्तब्ध हैं।
वकतव्य
में कहा गया कि भारत के काथलिक ख्रीस्तीय समुदाय का प्रतिनिधित्व करनेवाले भारतीय काथलिक
धर्माध्यक्षीय सम्मेलन ने कर्नाटक के हमलों को गम्भीरतापूर्वक लिया है क्योंकि ये हमले
हाल में उड़ीसा के ख्रीस्तीय समुदाय पर हिन्दु चरमपंथियों द्वारा ढाई गई बर्बर हिंसा
के तुरन्त बाद किये गये।
भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के अध्यक्ष कार्डिनल
वारकी वित्तयाथिल ने अकारण हुए इन हमलों पर गहन शोक एवं चिन्ता व्यक्त की है। उन्होंने
कहा कि भारत के विभिन्न क्षेत्रों में ख्रीस्तीय गिरजाघरों, ख्रीस्तीय संस्थाओं तथा ख्रीस्तीय
धर्मानुयायियों की सम्पत्ति पर हाल के आक्रमण समाज के एक विशिष्ट दल की बढ़ती असहिष्णुता
का परिचायक है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की असहिष्णुता भारत के नागरिकों के संवैधानिक
अधिकारों का घोर उल्लंघन है।
काथलिक धर्माध्यक्षों के वकतव्य में इस बात की ओर
ध्यान आकर्षित कराया गया कि इतनी अधिक हिंसा एवं हिन्दु चरमपंथियों द्वारा बारम्बार हिंसा
के उकसाये जाने के बावजूद भारत का ख्रीस्तीय अल्पसंख्यक समुदाय शांति बनाये रखने का प्रयास
करता रहा है तथा प्रतिशोध के प्रलोभन से दूर रहा है किन्तु इसे ख्रीस्तीयों की कमज़ोरी
कदापि न समझा जाये। उन्होंने कहा कि ख्रीस्तीय धर्मानुयायी हिंसा का बदला हिंसा से इसलिये
नहीं देना चाहते क्योंकि वे सभ्य जीवन यापन के सिद्धान्तों में विश्वास करते हैं।
वकतव्य
में कहा गया कि कुछेक स्वार्थी दलों द्वारा, बहुत अधिक समय से, ख्रीस्तीयों पर धर्मातरण
के झूठे एवं निराधार आरोप लगाये जाते रहे हैं जबकि आरोप लगाने वालों का प्रमुख उद्देश्य
धर्म के आधार पर भारतीय समाज को विभाजित करना रहा है।
धर्माध्यक्षों ने कहा कि
भारत का ख्रीस्तीय समुदाय हिन्दु चरमपंथियों के उक्त षड़यंत्र का शिकार कभी नहीं बनेगा
बल्कि येसु मसीह की शिक्षा के अनुकूल भारत की एकता, अखण्डता एवं विकास के लिये कार्य
करता रहेगा।