2008-09-10 11:38:21

बुधवारीय-आमदर्शन समारोह के अवसर पर
संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें का संदेश


बुधवार, 10 सितंबर, 2008


बुधवारीय आमदर्शन समारोह में संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने पौल षष्टम् सभागार में एकत्रित हजारों तीर्थयात्रियों को विभिन्न भाषाओं में सम्बोधित किया।


प्रिय भाइयो एवं बहनों आज की धर्मशिक्षामाला में संत पौल के उस विचार पर मनन चिन्तन करेंगे जिसमें उन्होंने यह बताया है कि येसु का प्रेरित होने का क्या मतलब है।

उन्होंने आगे कहा जौभि के संत पौल बारह प्रेरितो के दल में शामिल नहीं था फिर भी उसने यह कहने का साहस किया कि येसु ने उसे बुलाया और उसके जीवन को पूर्ण रूप से परिवर्तित कर दिया।

संत पौल ने प्रेरितों के तीन मुख्य गुणों को बताया है। उसके अनुसार प्रेरित बनना अर्थात् इस बात को ठीक से समझना कि ईश्वर ने मुझे बुलाया है। इसका अर्थ है कि प्रेरित बनना ईश्वर की ओर से एक बुलावा है।

दूसरी विशेषता जिसकी चर्चा संत पौल करते हैं वह है कि प्रेरित वह है जो भेजा जाता है और वह प्रभु के बारे में बोलता है।

संत पौल एक प्रेरित की तीसरी विशेषता के बारे में बोलते हुए कहते हैं कि एक प्रेरित वही है जो सुसमाचार का प्रचार करता है और इसके द्वारा ख्रीस्तीय समुदाय का निर्माण करता है।

संत पौल ने अपने जीवन काल में अनेक दुःख तकलीफों को प्रभु के लिये सहते हुए अन्तिम क्षण तक प्रभु के लिये समर्पित रहा। येसु के लिये दुःख उठाने में उसे आनन्द आने लगा था। आज के प्रेरितों को संत पौल से प्रेरणा मिले औऱ वे भी येसु के लिये अपना दुःख उठायें और प्रभु के कार्य को करने के लिये सदा उत्साहित रहें।


इतना कहकर संत पापा ने अपना संदेश समाप्त किया। उन्होंने भारत इंगलैंड आयरलैंड डेनमार्क स्वीडेन साउथ अफ्रीका जाम्बिया औऱ अमेरिका से से आये तीर्थयात्रियों पर प्रभु की कृपा और शांति की कामना करते हुए सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।














All the contents on this site are copyrighted ©.