उड़ीसा में ख्रीस्तीयों के विरुद्ध हिन्दु चरम पंथी हिंसा के बाद हज़ारों बेघर
उड़ीसा में ख्रीस्तीयों के विरुद्ध विगत सप्ताह से जारी हिन्दु चरम पंथी हिंसा के बाद
हज़ारों बेघर हो गये हैं। हिंसा के भय से अपने घरों से पलायन करनेवाले हज़ारों ख्रीस्तीय
सरकार द्वारा लगाये गये अस्थायी शिविरों में शरण ले रहे हैं। कंधामाल ज़िले के प्रशासक
कृष्ण कुमार के अनुसार कम से कम 6000 व्यक्ति अस्थायी शिविरों में शरण ले रहे हैं जबकि
5000 से अधिक लोग अपनी रक्षा के लिये जंगलो की ओर भाग गये हैं। श्री कुमार के अनुसार
शिविरों में शरण लेनेवालों की संख्या 10,000 तक बढ़ सकती है। स्मरण रहे कि 23 अगस्त
को विश्व हिन्दु परिषद के नेता स्वामी लक्ष्मणानंद सरस्वती की हत्या के बाद उड़ीसा में
ख्रीस्तीयों के विरुद्ध हिंसक आक्रमण शुरु हो गये थे। उड़ीसा में सक्रिय माओवादी संगठन
ने स्वामी की हत्या की ज़िम्मेदारी ली थी किन्तु इसकी पुष्टि पुलिस द्वारा किये जाने
के बावजूद हिन्दु चरमपंथी दलों ने स्वामी जी की हत्या का आरोप ख्रीस्तीयों पर मढ़ कर
उनके विरुद्ध बर्बर हिंसा आरम्भ कर दी थी।
इस हिंसा में अब तक कम से कम 13 व्यक्तियों
के मरने की पुष्टि हो चुकी है किन्तु मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि मरनेवालों की
संख्या 50 तक हो सकती है। 41 गिरजाघरों, चार कॉनवेन्ट, तीन हॉस्टेल, सात प्रेरितिक एवं
समाज कल्याण केन्द्रों तथा 17 आवासों को या तो आग के हवाले किया गया है या वहाँ तोड़
फोड़ मचाई गई है। कलीसिया के कई वाहन भी जला दिये गये हैं।
शुक्रवार को तीन हज़ार
ख्रीस्तीयों ने नई दिल्ली में उड़ीसा स्टेट बिलडिंग के सामने विरोध प्रदर्शन किया। विशाल
पोस्टरों द्वारा उन्होंने शांति के आव्हान के साथ साथ राज्य सरकार की कड़ी निन्दा की।
कटक भूबनेश्वर के महाधर्माध्यक्ष राफायल चीनत ने ख्रीस्तीयों के जाति सफाया षड़यंत्र
को न रोकने के लिये उड़ीसा के मुख्य मंत्री को फटकारा। उन्होंने कहा कि वे तुरन्त हिंसा
की समाप्ति तथा हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में शांति एवं सामान्य जीवन की बहाली चाहते
हैं।