2008-08-29 12:58:19

उड़ीसा में ख्रीस्तीयों पर हुए अन्यायपूर्ण हमलों सम्बन्धी एक रिपोर्ट
 


श्रोताओ, उड़ीसा में विगत एक सप्ताह से ख्रीस्तीयों के विरुद्ध जारी हिंसा, आगजनी एवं लूटमार का विरोध करने के लिये शुक्रवार को सम्पूर्ण भारत में ख्रीस्तीय स्कूल एवं शिक्षण संस्थाएँ बन्द रही। गुरुवार को यद्यपि उड़ीसा प्रशासन ने दावा किया था कि स्थिति में सुधार हुआ है तथा करफ्यु में ढील दी गई तथापि कंधामाल और आसपास के आठ नगरों में तनाव बने रहे तथा करफ्यु लगा रहा। टीकाबाली, उदयगिरी एवं अन्य कुछेक गाँवों से हिंसक आक्रमणों की खबरें भी मिली हैं जहाँ के ख्रीस्तीय अपने घरों से पलायन के लिये बाध्य हो रहे हैं।

23 अगस्त को विश्व हिन्दु परिषद के नेता स्वामी लक्ष्मणानंद सरस्वती की हत्या के बाद उड़ीसा में ख्रीस्तीयों के विरुद्ध हिंसक आक्रमण शुरु हो गये थे। उड़ीसा में सक्रिय माओवादी संगठन ने स्वामी की हत्या की ज़िम्मेदारी ली थी किन्तु इसकी पुष्टि पुलिस द्वारा किये जाने के बावजूद हिन्दु चरमपंथी दलों ने स्वामी जी की हत्या का आरोप ख्रीस्तीयों पर मढ़ दिया तथा उनके विरुद्ध बर्बर हिंसा आरम्भ कर दी।

प्राप्त रिपोर्टों के अनुसार उड़ीसा में ख्रीस्तीयों के विरुद्ध हिंसक घटनाएँ अभी भी जारी हैं। अधिकारियों के अनुसार अब तक कम से कम 20 व्यक्तियों के प्राण जा चुके हैं किन्तु मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि मरनेवालों की संख्या 50 तक हो सकती है। हथियारबन्द दल अभी भी गिरजाघरों, ख्रीस्तीय संस्थाओं, अस्पतालों एवं आवासों को आग के हवाले कर रहे हैं तथा धर्मबहनों एवं पुरोहितों के साथ दुर्व्यवहार कर रहे हैं। इताली समाचार संस्था आन्सा के अनुसार स्थानीय लोगों को विगत चार दिनों से भोजन नहीं मिल पाया है।

दिव्य शब्द धर्मसमाज के फादर सेबास्तियान मट्टापालिल ने बुधवार को बताया था कि बड़गर में सेवारत फादर एडवर्ड सिक्वेरा को बुरी तरह पीटा गया तथा उनके निवास को आग के हवाले कर दिया गया। इसी प्रकार मधुपुर मिशन केन्द्र में भी तोड़ फोड़ मचाई गई। उन्होंने बताया कि पुरोहितों एवं धर्मबहनों को उनके आश्रमों से भागने के लिये बाध्य किया गया तथा आश्रमों को भस्म कर दिया गया। जयपुर रोड से दो पुरोहितों, फादर सिमोन लाकरा तथा फादर ज़ेवियर तिरकी को पकड़ लिया गया तथा वस्त्रहीन कर बुरी तरह उनकी पिटाई की गई। दुबुरी के मिशन केन्द्र पर भी हमला हुआ।

बताया जाता है कि कंधामाल एवं बरगड़ के अतिरिक्त हिन्दु चरमपंथियों ने पदमपुर, सम्बलपुर, डाँगसोरोड़, नारायणीपत्रा, मुनीगुडा, तुमीबन्ध, तान्ग्रापाड़ा, फूलबनी, बालीगुड़ा, कलिंगा, चाकापाड़, श्रसनरन्दा आदि काथलिक मिशन केन्द्रों पर भी हमले किये तथा इनके आस पड़ोस के गाँवों में भी हिंसा मचाई।

वाटिकन ने मंगलवार को एक विज्ञप्ति जारी कर उड़ीसा में ख्रीस्तीयों के विरुद्ध इन दिनों जारी हिंसा की कड़ी निन्दा की थी। विज्ञप्ति में कहा गया था कि इस प्रकार की घटनाएँ मानव प्रतिष्ठा एवं लोगों की धार्मिक स्वतंत्रता पर प्रहार करती तथा नागरिकों के बीच शांतिपूर्ण सहअस्तित्व को ख़तरे में डालती हैं। हिंसा को शीघ्रातिशीघ्र समाप्त करने तथा वार्ता एवं आपसी सम्मान के वातावरण की रचना का भी वाटिकन ने आव्हान किया था। इसके तुरन्त बाद बुधवार को सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने साप्ताहिक आमदर्शन समारोह के दौरन ख्रीस्तीयों के विरुद्ध हिंसा पर गहन दुःख व्यक्त कर मानव जीवन पर आक्रमण की कड़ी निन्दा की थी। धार्मिक एवं सरकारी अधिकारियों का उन्होंने आव्हान किया है कि विभिन्न धर्मों के लोगों के बीच मैत्री एवं शांतिपूर्ण सहअस्तित्व के निर्माण हेतु वे कार्य करें।

इटली की सरकार ने भी गुरुवार को उड़ीसा में ख्रीस्तीयों के विरुद्ध हो रहे अत्याचारों को अस्वीकार्य बताया तथा कहा कि रोम स्थित भारतीय राजदूत को बुलाकर यह मांग की जायेगी कि भारत सरकार हिंसा को रोकने तथा ख्रीस्तीयों को प्रतिष्ठापूर्ण जीवन यापन का आश्वासन देने के लिये ठोस कदम उठाये। यूरोपीय संघ के वर्तमान अध्यक्ष फ्राँस से भी इटली की सरकार ने आग्रह किया है कि वह भारत से इस मामले में बातचीत करे।

इस बीच, गुरुवार को भारतीय धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के एक वरिष्ठ प्रतिनिधिमण्डल ने नई दिल्ली में भारत के प्रधान मंत्रि मन मोहन सिंह से मुलाकात कर उन्हें उड़ीसा की मौजूदा ख़तरनाक स्थिति से अवगत कराया तथा हिंसा को रोकने के लिये तुरन्त हस्तक्षेप की अपील की। देहली के महाधर्माध्यक्ष विन्सेन्ट कॉनचेसाओ, कटक भूबनेश्वर के महाधर्माध्यक्ष राफायल चीनत, धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के अधिकारी फादर बाबू जोसफ तथा फादर थॉमस सिक्वेरा, सी.एन.आई. धर्माध्यक्ष सैमसन दास, चर्च ऑफ नॉर्थ इण्डिया के धर्माध्यक्ष सुनील कुमार सिंह तथा एन.सी.सी.आय. की उपाध्यक्षा सुश्री सुषमा रामास्वामी ने श्री मन मोहन सिंह के समक्ष एक मैमोरेनडम प्रस्तुत किया। इस विषय में सुनें महाधर्माध्यक्ष राफायल चीनत सेः .................................

मैमोरेनडम में ख्रीस्तीय नेताओं ने इस बात पर बल दिया कि वे वि.हि.प. नेता स्वामी लक्ष्मणानंद सरस्वती की हत्या तथा उसके बाद ख्रीस्तीयों पर ढाई गई हिंसी की कड़ी निन्दा करते हैं तथा अपील करते हैं कि केन्द्रीय जाँच ब्यूरो द्वारा निष्पक्ष जाँच पड़ताल कर सत्य का पता लगाया जाये। उन्होंने मांग की कि हिन्दु चरमपंथियों की हिंसक कार्रवाई को रोकने लिये उड़ीसा के सभी प्रभावित ज़िलों में सुरक्षाबल भेजे जायें। गिरजाघरों, ख्रीस्तीय संस्थाओं, आवासों एवं व्यक्तियों पर हुए हमलों का जायज़ा लिया जाये तथा शीघ्रातिशीघ्र क्षतिपूर्ति का इन्तज़म किया जाये। घायल एवं मृत व्यक्तियों के परिवारों की क्षतिपूर्ति हेतु भी उपयुक्त कदम उठायें जाने की मांग की गई। यह भी मांग की गई कि साम्प्रदायिक हिंसा भड़कानेवालों और हिंसा के प्रति निष्क्रिय रहनेवाले सरकारी अधिकारियों का पता लगाया जाये तथा उन्हें न्यायोचित दण्ड दिया जाये। देश में सामान्य होते साम्प्रदायिक अपराधों से निपटने के लिये कड़े कानून बनाये जाने की भी ख्रीस्तीय धर्माधिकारियों ने मांग की।
उक्त मैमोरेमडम में प्रधान मंत्रि को यह भी बताया गया कि इस सप्ताह के प्रारम्भ में शुरु हमलों में कम से कम 20 व्यक्तियों के प्राण चले गये हैं, कई गम्भीर रूप से घायल हैं, 41 गिरजाघरों, चार कॉनवेन्ट, तीन हॉस्टेल, सात प्रेरितिक एवं समाज कल्याण केन्द्रों तथा 17 आवासों को या तो आग के हवाले किया गया है या वहाँ तोड़ फोड़ मचाई गई है। कलीसिया के कई वाहन भी जला दिये गये हैं। महाधर्माध्यक्ष राफायल चीनत...................................

श्रोताओ, प्रश्न उठता है कि स्थिति इतनी क्यों बिगड़ी, स्वामी जी की हत्या के तुरन्त बाद ही अधिकारियों ने हिंसा को रोकने के उपाय क्यों नहीं किये? इतना सबकुछ हो जाने पर भी प्रशासन क्यों चुप रहा? इस विषय में सुनें मुम्बई के कार्डिनल ऑस्वल्ड ग्रेशियस को................

इसमें सन्देह नहीं कि भारतीय समाज के उत्थान में संलग्न ख्रीस्तीय समुदाय पर इन बर्बर हमलों ने अन्तरराष्ट्रीय समुदाय के बीच, विभिन्न धर्मों एवं जातियों के बीच सहिष्णुता के लिये विख्यात, भारत की छवि को महान क्षति पहुँचाई है। इस विषय में मध्यप्रदेश में काथलिक कलीसिया के प्रवक्ता फादर आनन्द मुत्तुंगल ने वाटिकन रेडियो को बताया कि भारत का आम हिन्दु जनता अन्य धर्मों के लोगों के साथ सहअस्तित्व एवं शांतिपूर्ण जीवन यापन करना चाहती है किन्तु कुछेक चरमपंथी हिन्दु दल साम्प्रदायिक झगड़ों को भड़काते हैं तथा समाज में वैमनस्यता फैलाते हैं। फादर आनंद मुत्तुंगल...............................

श्रोताओ, आप सबसे आर्त निवेदन है कि हिंसा के शिकार उड़ीसा के लोगों के लिये आप प्रार्थना करें ताकि वहाँ शीघ्रातिशीघ्र हिंसा समाप्त हो तथा ख्रीस्तीय एवं हिन्दु धर्मानुयायियों के बीच मैत्री एवं आपसी सम्मान का वातावरण तैयार किया जा सके। .....................








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