भारत की आज़ादी की 62वीं जयन्ती के उपलक्ष्य में भारतीय प्रधानमंत्री ने एकता का आव्हान
किया
भारत की आज़ादी की 62वीं जयन्ती के उपलक्ष्य में भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने
देश के विकास के लिए टकराव की राजनीति के परित्याग का आव्हान किया। 15 अगस्त को भारत
के 62वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले से पाँचवीं बार देश को संबोधित करते हुए
प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में आतंकवाद, पड़ोसी देशों से संबंध, अमरनाथ भूमि विवाद,
महंगाई, अल्पसंख्यकों के अधिकार एवं जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों पर चर्चा की। जम्मू-कश्मीर
में हाल की हिंसा पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने देश के राजनीतिज्ञों का आव्हान किया
कि वे संकट की इस घड़ी में बंटवारे की राजनीति में न फँसें। देश में ऊर्जा की कमी
को पूरा करने के लिये उन्होंने परमाणु क़रार की पैरवी की और कहा कि इसके लिए गैस और तेल
के बजाय अन्य स्रोत खोजने होंगे। इस स्थिति में, उन्होंने कहा, परमाणु ऊर्जा देश के ग़रीब
और ग्रामीण इलाकों, कारखानों आदि की ऊर्जा आपूर्ति का काम करेगी। अल्पसंख्यकों के
सन्दर्भ में उन्होंने कहा, "शांति और धर्मनिरपेक्षता को मज़बूत करने के प्रयास किए जाएंगे।
प्रधान मंत्रि ने कहा कि प्रेम, मैत्री, सहिष्णुता एवं आतिथेय भारत की नेक परम्परा रही
है इन्हीं मूल्यों पर अमल कर विभिन्न धर्मों एवं समुदायों के लोगों के बीच शांति एवं
सहअस्तित्व की स्थापना की जा सकती है। काबुल में भारतीय दूतावास पर हुए हमले का
हवाला देते हुए प्रधान मंत्रि ने कहा कि इस तरह की घटनाओं से पड़ोसी देश से सामान्य संबंध
बहाली की कोशिशों को नुकसान पहुँच सकता है। श्री मनमोहन सिंह ने कहा कि विगत चार
वर्षों में यूपीए सरकार ने विश्वव्यापी स्तर पर भारत की सकारात्मक छवि बनाने की दिशा
में काम किया है। चाहे वो अरब देशों का मामला हो, अफ्रीका के साथ सहमतियाँ हों या फिर
अमरीका और अन्य देशों के साथ, भारत की छवि और संबंध सुधरे हैं। सूचना का अधिकार. क़ानून,
रोज़गार गारंटी योजना और किसानों की कर्ज़ माफ़ी जैसी अपनी सरकार की उपलब्धियों की उन्होंने
चर्चा की। अहमदाबाद, बंगलौर और जयपुर के बम धमाकों की चर्चा करते हुए डॉक्टर मनमोहन
सिंह ने कहा कि ऐसी चुनौतियों से निपटने के लिए पुलिस तंत्र और ख़ुफ़िया एजेंसियों को
और अधिक मज़बूत बनाने की ज़रूरत है। प्रधानमंत्री ने इस बात को स्वीकार किया कि
देश को महंगाई का सामना करना पड़ा रहा है जिससे आम जनता को अपने रोज़मर्रा के जीवन में
कठिनाईय़ाँ आ रही हैं किन्तु, उन्होंने कहा कि सरकार इसके प्रति गंभीर है और आवश्यक क़दम
उठा रही है। तथापि प्रधान मंत्रि ने स्पष्ट किया कि महंगाई ऐसा घटक है जिससे सम्पूर्ण
विश्व प्रभावित है इसलिये ऐसा मानना कि केवल भारत महंगाई से जूझ रहा है सरासर ग़लत है।
उन्होंने कहा कि ऐसे कई देश हैं जहाँ महंगाई की स्थिति भारत से भी बदत्तर है।