प्रजातांत्रिक देश, भारत में हिंसा के लिए कोई जगह नहीं, कहना भारत की राष्ट्रपति श्रीमती
पाटिल का
इस बीच, स्वतंत्रता दिवस की पूर्वसंध्या पर राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में राष्ट्रपति
प्रतिभा पाटिल ने इस बात पर बल दिया कि भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में हिंसा के लिए कोई
जगह नहीं है। सभी मुद्दों को उन्होंने बातचीत के ज़रिए सुलझाये जाने का आव्हान किया तथा
देश शांति बनाए रखने की अपील की। आतंकवाद को एक विश्वव्यापी समस्या बताते हुए उन्होंने
मिलजुलकर इसका मुक़ाबला करने पर ज़ोर देते हुए कहा कि आतंकवादी मज़बूत भारत के इरादों
को विचलित करने में कभी सफल नहीं होंगे। भारत की आर्थिक प्रगति के सन्दर्भ में राष्ट्रपति
ने कहा कि का लाभ हर गाँव, क़स्बे और ज़िले तक पहुँचना चाहिए। विशेष रूप से निर्धनों
पर ध्यान केन्द्रित करने तथा उनके जीवन स्तर को उठाने का राष्ट्रपति ने आव्हान किया।
इसके अतिरिक्त उन्होंने बाल मज़दूरी, कन्या भ्रूण हत्या, घरेलू हिंसा, दहेज और महिलाओं
के विरुद्ध सभी भेदभावों को मिटाया जाना राष्ट्र के विकास के लिये अपरिहार्य बताया।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत
एक युवा देश है जहाँ 54 करोड़ नौजवान का वास है, इन नौजवानों के लिये बेहतर शिक्षा और
रोज़गार के अवसरों को मुहैया कराया जाना नितान्त आवश्यक है। आरम्भ ही से बच्चों में उच्च
नैतिक मूल्यों को पोषित किये जाने पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में माता
पिता के साथ साथ शिक्षकवर्ग एवं मीडिया की भी ज़िम्मेदारियाँ जिनका निर्वाह स्वस्थ राष्ट्रनिर्माण
के लिये अपरिहार्य है।