2008-08-13 13:25:55

श्री लंका के मन्नार धर्मप्रान्त में मधु की रानी नामक मरियम तीर्थ फिर खुला


श्री लंका के मन्नार धर्मप्रान्त में मधु की रानी नामक मरियम तीर्थ को, 15 अगस्त को मनाये जानेवाले मरियम के स्वर्गोत्थान महापर्व के उपलक्ष्य में, 12 से 17 अगस्त तक खोल दिया गया है। चूँकि, मरियम तीर्थ एवं उसके आसपास के स्थल अभी भी ख़तरे से खाली नहीं हैं प्रतिदिन केवल 200 तीर्थयात्रियों को तीर्थ में प्रवेश की अनुमति दी जायेगी।

श्री लंका के सरकारी सैनिकों तथा तमिल गुरिल्लाओं के मध्य चलते सशस्त्र झगड़ों के कारण विगत सप्ताह ही मन्नार के काथलिक धर्माध्यक्ष जोसफ रायाप्पु ने 15 अगस्त के दिन सभी समारोहों को रद्द कर दिया था। विगत अप्रैल माह से मधु का मरियम तीर्थ परित्यक्त स्थिति में है जहाँ से मरियम की प्रतिमा भी निकाल ली गई थी। विगत सप्ताह धर्माध्यक्ष ने मरियम प्रतिमा के पुनः प्रतिष्ठापित किया किन्तु पर्याप्त सुरक्षा के अभाव में सभी समारोहों को स्थगित करने की घोषणा की।

मन्नार के प्रतिधर्माध्यक्ष विक्टर सूसाई ने एशिया समाचार को बताया कि 12 से 17 अगस्त तक प्रतिदिन 200 तीर्थयात्री मरियम तीर्थ की भेंट कर सकेंगे। विभिन्न दलों के लिये ख्रीस्तयाग की भी व्यवस्था की गई है किन्तु मरियम के स्वर्गोत्थान महापर्व के उपलक्ष्य में पारम्परिक रूप से मनाये जाते रहे भव्य समारोहों के आयोजन को रोक दिया गया है।

मन्नार धर्मप्रान्त स्थित मधु का मरियम तीर्थ विगत अप्रैल माह तक तमिल गुरिल्लाओं के कब्ज़े में था। एक वर्ष पूर्व सुरक्षा सैनिकों एवं तमिल गुरिल्लाओं के मध्य सम्पन्न एक सुलह के बाद तीर्थस्थल को युद्ध रहित क्षेत्र घोषित कर दिया गया था किन्तु इसके बावजूद लड़ाईयाँ होती रही। इसके अतिरिक्त तीर्थस्थल के आसपास बहुत सी सुरंगों को रोपा गया था जिससे यह स्थल ख़तरे से खाली नहीं है।

12 से 17 अगस्त तक तीर्थयात्रियों को सुरक्षा प्रदान करने के लिये सुरक्षा सैनिकों ने तीर्थ के ओर छोर एक किलोमीटर की दूरी तक सभी सुरंगों को खोद निकाला है तथा रास्तों को सुगम बना दिया है।

प्रतिदिन तीर्थयात्रियों को सरकारी वाहनों द्वारा तीर्थस्थल तक लाया जायेगा तथा उनके भोजन आदि की भी व्यवस्था की जायेगी।

मधु के मरियम तीर्थ पर विभिन्न धर्मों के लोग श्रद्धा अर्पित करने आते हैं। प्रतिवर्ष, विशेष रूप से, मरियम के स्वर्गोत्थान महापर्व के उपलक्ष्य में यहाँ कम से कम तीन लाख श्रद्धालु उपस्थित हुआ करते थे।








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