संत पापा पौल षष्टम् ने ख्रीस्तीय विश्वास पवित्रता और अखंडता के रक्षक
धर्माध्यक्षों के लिये बनी परमधरमपीठीय समिति के प्रीफेक्ट कार्डिनल जियोभान्नी बात्ति्स्ता
ने कहा कि संत पापा पौल षष्टम् ने खुद ही ख्रीस्तीय विश्वास को पूरे समर्पण के साथ जीया
और इसकी पवित्रता और अखंडता को अक्षुण रखा। कार्डिनल जियोभन्नी ऩे उक्त बातें उस समय
कहीं जब वे संत पेत्रुस महागिरजाघर में संत पापा पौल षष्टम की मृत्यु के 30 वर्षगाँठ
पर आयोजित यूखरिस्तीय समारोह में लोगों को सम्बोधित कर रहे थे। कार्डिनल इस बात की
ओर भी लोगों का ध्यान आकर्षित किया जब संत पापा पौल षष्टम् पोप बने थे वह समय कलीसिया
के लिये विरोध का समय था, पर उन्होंने पूरे उत्साह से काथलिक विश्वास को मजबूत किया।
उन्होंने ' ह्यूमाने भिते ' नामक जिस दस्तावेज़ को लोगों को दिया इसका जोरदार विरोध
किया गया। कार्डिनल बात्तिस्ता ने आगे कहा कि संत पापा को मालूम था कि इस दस्तावेज़
का विरोध किया जायेगा पर उन्होंने अपने दायित्व को बखूबी निभाया। संत पापा का कहना
था कि प्रेम का बीज लोगों के ह्रदय और अंतःकरण में बोया जाना चाहिये और इसी से लोगों
का जीवन संचालित होना चाहिये। कार्डिनल संत पापा पौल षष्टम के बारे में बताते हुए
लोगों से यह भी निवेदन किया कि वे उनकी शिक्षा से प्रेरणा पायें और अपना जीवन ईमानदारी
से जीयें।