2008-08-05 12:53:26

नई दिल्लीः तीसरा बच्चा होने पर परिवारों को दण्ड दिये जाने के प्रस्ताव का काथलिक कलीसिया द्वारा विरोध


केरल में कानून सुधार आयोग ने सुझाव दिया है कि तीसरा बच्चा होने पर परिवारों को दण्डित करने की व्यवस्था की जाये। भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के अध्यक्ष कार्डिनल वारकी विथयाथिल ने सरकार के इस प्रस्ताव के विरुद्ध आवाज़ उठाते हुए कहा है कि वे अन्त तक इसका विरोध करेंगे।

केन्द्रीय उच्चत्तम न्यायालय के न्यायमूर्ति वी. आर. कृष्णा अय्यर ने प्रस्ताव रखा है कि तीसरा बच्चा होने पर परिवारों पर 10,000 रुपये नकद का अर्थदण्ड लगाया जाये तथा इन परिवारों को निशुल्क शिक्षा एवं स्वास्थ्य सेवाओं और साथ ही आवास एवं नौकरी की सुविधाओं से वंचित रखा जाये।

नये प्रस्तावित विधान के सातवें अनुच्छेद में लिखा है कि कोई भी व्यक्ति अथवा संस्था धर्म, प्रान्त, पन्थ एवं सम्प्रदाय का उपयोग कर, अधिक बच्चों को जन्म देने के लिये परिवारों को प्रलोभन नहीं देगी। साथ ही परिवार नियोजन में संलग्न कोई भी व्यक्ति अथवा संगठन विधान का उल्लंघन करने वाले पर मुकद्दमा दायर कर सकेगा।

एशिया समाचार से बातचीत करते हुए कार्डिनल विथयाथिल ने प्रश्न किया, "बच्चों की संख्या का निर्णय लेने का अधिकार किसके पास है? उन्होंने कहा कि मानव प्राणी विश्व के लिये जन्म लेता है, तथा भारतीय सरकार पहले भी इस तरह के प्रस्ताव रख चुकी है जो विफल रहे हैं क्योंकि निर्धन से निर्धन व्यक्ति यह जानता है कि जीवन ईश्वर द्वारा मिलनेवाला वरदान है। उन्होंने कहा कि कलीसिया का विरोध रचनात्मक है क्योंकि कलीसिया इस प्रकार के जीवन विरोधी कानून के समक्ष जीवन के महत्व को उजागर करना चाहती है।

कार्डिनल महोदय ने कहा कि केरल में दो विचारधाराएँ सक्रिय हैं, प्रथम राज्य की प्रभुसत्ता तथा द्वितीय, स्वतंत्रता, सम्मान एवं मानव प्राणी की प्रतिष्ठा की विचारधारा।

केरल की लगभग बीस प्रतिशत जनता ख्रीस्तीय धर्मानुयायी है।








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