ऑलिम्पिक के द्वारा विश्व के विश्वबंधुत्व औऱ सहअस्तित्व की भावना बढ़ेः पोप
संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने चीन में आरम्भ होने वाले ऑलिम्पिक के लिये शुभकानाएँ देते
हुए कहा है कि इस अन्तरराष्ट्रीय खेल-कूद प्रतियोगिता के द्वारा विश्व के लोगों में विश्वबंधुत्व
औऱ सहअस्तित्व की भावना बढ़े।
संत पापा ने आगे कहा है कि वे ऑलिम्पिक के विभिन्न
प्रतिस्प्रद्धाओं को देखा करेंगे। उन्होंने आशा व्यक्त की है कि इससे आपसी प्रेम और शांति
के प्रयासों को बल मिलेगा। संत पापा ने उक्त शुभकामनाएँ उस समय दीं जब वे परम्परागत देवदूत
प्रार्थना के समय रविवार 3 अगस्त को ब्रेसानोने में लोगों को संबोधि्त कर रहे थे।
संत
पापा ने ऑलिम्पिक के आयोजकों को भी अपनी शुभकामनाएँ देते हुए कहा है कि उन्हें पूरी आशा
है कि खेल-कूद का आयोजन सफल होगा और सब प्रतिभागी खेल की भावना से विभिन्न प्रतियोगिताओं
में शामिल हो पायेंगे।
ज्ञात हो कि संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें पोप बनने के बाद
से चीन से अपने संबंध सौहार्दपूर्ण करने को उच्च प्राथमिकता दी है। चीन की साम्यवादी
सरकार ने सन् 1951 ईस्वी में चीन के काथलिकों को रोम से अपना संबंध तोड़ लेने के लिये
बाद्य किया था। चीन की सरकार का मानना था कि चीन में संत पापा का काथलिक पारम्परा के
अनुसार अपने बिशपों की नियुक्ति करना चीन के आंतरिक मामलों की छेड़छाड़ है।
आज
भी संत पापा सिर्फ उन्हीं प्रांतों में अपने बिशपों की नियुक्ति करती है जिसे सरकार मान्यता
प्रदान करती है। अभी भी चीन के करीब 12 लाख काथलिक सरकारी मान्यता प्राप्त क्षेत्रों
के बाहर अपने पूजा अनुष्ठान चढ़ाते हैं। कई बार उन्हें सरकारी यंत्रणायें भी झेलनी पड़तीं
हैं।
पिछले वर्ष संत पापा ने चीनी आधिकारिक कलीसिया के नाम एक पत्र लिखे थे। इसमें
उन्होंने भूमिगत काथलिक कलीसिया की तारीफ़ की थी पर उन्हें यह भी सलाह दी थी कि वे चीनी
की मान्यता प्राप्त कलीसिया से मेल-मिलाप कर लें।