2008-07-18 09:37:18

ऑस्ट्रेलिया में जारी विश्व युवा दिवस के दौरान सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें के कार्यक्रमों पर एक संक्षिप्त रिपोर्टः17 जुलाई, 2008


काथलिक कलीसिया के परमधर्मगुरु सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें इस समय ऑस्ट्रेलिया में हैं जहाँ वे 23 वें विश्व युवा दिवस के कतिपय समारोहों का नेतृत्व कर रहे हैं। शनिवार 12 जुलाई को सन्त पापा रोम से सिडनी के लिये रवाना हुए थे। 13 जुलाई से 16 जुलाई तक 81 वर्षीय सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने सिडनी महानगर के रमणीय पर्वतीय उपनगर केन्टहर्स्ट स्थित अध्ययन केन्द्र में विश्राम कर वहाँ के प्राकृतिक सौन्दर्य का आनन्द उठाया। 16 जुलाई से सन्त पापा सिडनी के कथीड्रल हाऊस में हैं जहाँ वे 21 जुलाई तक रहेंगे।

गुरुवार, 17 जुलाई को स्थानीय समयानुसार सन्त पापा कथीड्रल हाऊस से दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित गवर्मेंनट हाउस पहुँचे, जहाँ औपचारिक स्वागत समारोह का आयोजन किया गया था। सन् 1845 ई. में, गौथिक शैली में, निर्मित इस आलिशान भवन में ही विभिन्न देशों के राष्ट्राध्यक्षों का औपचारिक स्वागत किया जाता है। इसी भवन में ऑस्ट्रेलिया के राज्यपालों एवं यहाँ के शाही परिवार के निवास भी हैं। भवन के प्राँगण में ऑस्ट्रेलिया के महाराज्यपाल माईकल जेफरी तथा प्रधान मंत्री केविन रड एवं उनकी धर्मपत्नियों ने सन्त पापा का स्वागत किया। इस अवसर पर उच्च प्रशासनाधिकारियों के साथ साथ राष्ट्र एवं वाटिकन के कलीसियाई अधिकारी भी उपस्थित थे। यहाँ 21 तोपों की सलामी देकर सार्वभौमिक काथलिक कलीसिया के जगतगुरु का आधिकारिक स्वागत किया गया तथा वाटिकन की राष्ट्रीय धुन बजाकर ऑस्ट्रेलिया के लब्ध प्रतिष्ठित मेहमान के प्रति सम्मान प्रदर्शित किया गया।

स्वागत समारोह के अवसर पर प्रधान मंत्री केविन रड ने सम्पूर्ण राष्ट्र की ओर से सन्त पापा का स्वागत करते हुए उनके आदर में अभिवादन पत्र पढ़ा। उन्होंने कहाः "ऑस्ट्रेलिया की सरकार तथा ऑस्ट्रेलिया के लोगों की ओर से, ऑस्ट्रेलिया के सिडनी महानगर में विश्व युवा सम्मेलन के लिए, महामहिम सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें का स्वागत करना मेरे लिये बड़े गौरव का विषय है।" उन्होंने कहा कि सम्पूर्ण ऑस्ट्रेलियाई समाज और विशेष रूप से ऑस्ट्रेलिया के काथलिक समुदाय के लिये यह एक अर्थगर्भित घटना है जो देश की कुल जनसंख्या का 25 प्रतिशत हैं। उन्होंने कहा कि ऑस्ट्रेलिया महान विविधताओं एवं संस्कृतियों का देश है जहाँ विश्व की लगभग सभी जातियों एवं धर्मों के लोग एकसाथ निवास करते हैं।
फिर सन्त पापा को उन्होंने शांति एवं आशा के दूत निरूपित कर कहाः "एक ऐसे युग में जहाँ अन्तरनिर्भर विश्व शांति रूपी आवाज़ की सख्त आवश्यकता है सन्त पापा शांति के प्रेरित रूप में आपका हार्दिक स्वागत है। विश्व के निर्धनों की आवाज़ रूप में, आशा की आवाज़ रूप में, आपका हार्दिक स्वागत है।" अपने प्रति कहे प्रधान मंत्री रड के शब्दों के लिए सन्त पापा ने आभार व्यक्त किया। ऑस्ट्रेलिया की सरकार एवं यहाँ की जनता को सम्बोधित अपने प्रथम प्रभाषण में उन्होंने, देश के मूलनिवासियों से अतीत के अन्यायों के लिये ऑस्ट्रेलियाई सरकार द्वारा की गई क्षमा याचना को महान साहसी कृत्य निरूपित करते हुए कहा " बहनों, भाइयो और ऑस्ट्रेलिया के मेरे दोस्तो, मुझे खुशी है कि आज मैं आप लोगों के बीच हूँ। मैं ऑस्ट्रेलिया के गवर्नर जेनरल मिखाएल जेफरी और प्रधानमंत्री केविन रुद्द के हार्दिक स्वागत, सम्मान और आपके स्नेह के लिये कृतज्ञ हूँ।"

कई लोगों के मन-दिल में यह प्रश्न गूँज रहा हैं कि आखिर लाखों की संख्या में इतने युवा सिडनी में क्यों जमा हुए हैं। मैं विश्व को बताना चाहता हूँ कि युवा विश्व युवा दिवस में इतनी बड़ी संख्या में इसीलिये आते हैं ताकि वे ईश्वर के वचन को जान सकें, उसे ग्रहण कर सकें, अपने जीवन को आशा से पूर्ण सकें और एक बेहतर दुनिया के निर्माण में अपना योगदान दे सकें।

संत पापा ने आगे कहा कि वे ऑस्ट्रेलियन सरकार की साहसपूर्ण कदम की तारीफ करते हैं क्योंकि सरकार ने आदिवासियों या मूलवासियों के विरुद्ध हुए सरकारी भेद-भाव और अन्याय के लिये सार्वजनिक रूप से माफ़ी माँगी है। यह मेल-मिलाप और आपसी सम्मानपूर्ण संबंध को मजबूत करने की दिशा में एक ठोस पहल है। इससे उन लोगों के दिल में आशा जगी है जो चाहते हैं कि उनके अधिकारों का सम्मान किया जाये, उन्हें उचित जगह दी जाये और उनका प्रचार-प्रसार किया जाये। यूरोप से आकर बसे यहाँ के मूलवासियों ने शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में बहुत कार्य किये हैं।

इस अवसर पर संत पापा ने कहा कि लोगों को चाहिये कि वे विभिन्न बाधाओं को झेलते और कठिनाइय़ों में धैर्य का परिचय देते हुए ऑस्ट्रेलिया की धन्य मेरी मैकिलोप की तरह ग़रीबों औऱ कमजोर वर्ग के लोगों का साथ देते रहें और न्याय और शांति के लिये कार्य करें।

उन्होंने आगे कहा, " भाइयो एवं बहनो ऑस्ट्रेलिया के राष्ट्रीय गान में इस बात ज़िक्र है कि ऑस्ट्रेलिया की धरती प्राकृतिक सौदर्य और सम्पदा से भरपूर है जो हमें याद दिलाती है कि ईश्वर की रचना कितनी अनुपम हैं और हमें पर्यावरण की रक्षा करनी है। ऩ केवल पर्यावरण या प्राकृतिक वातावरण की बल्कि मानवीय वातावरण को भी शांतिपूर्ण बनाये रखने का दायित्व ईश्वर ने मानव को सौंपा है। संत पापा ने इस अवसर पर यह भी कहा कि वे ऑस्ट्रेलिया के उन प्रयासों की तारीफ़ करते हैं जिसमें उन्होंने दक्षिणी-पूर्वी-एशिया और उसके पड़ोसी राष्ट्रों के मध्य हो रहे संकटों का शांतिपूर्ण समाधान करने में अपना योगदान दिया है।"

संत पापा ने यह भी कहा कि ऑस्ट्रेलिया एक ऐसी भूमि है जहाँ अन्तरकलीसाई और अन्तरधार्मिक वार्ता के बीजों को पनपने, प्रस्फुटित होने औऱ बढ़ने के लिये उचित वातावरण तैयार हैं।

अन्त में संत पापा ने कहा कि वे ऑस्ट्रेलिया के सब लोगों के लिये प्रार्थना करते हैं कि वे पवित्र आत्मा युवाओं पर और ऑस्ट्रेलिया के लोगों पर उतरे, उनकी रक्षा करे और उसकी शक्ति से लोग जीवन के हर एक मोढ़ पर सही चुनाव कर सकें और संतों के समान जीवन बिता सकें।

स्मरण रहे कि विगत फरवरी माह में, नवीन प्रधान मंत्री केविन रड ने ऑस्ट्रेलिया के मूलनिवासियों एवं ग़ैरमूलनिवासियों के बीच बनी खाई को भरना अपनी सरकार की प्राथमिकता घोषित किया था तथा औपचारिक ढंग से ऑस्ट्रेलिया के मूलनिवासियों से अतीत के अन्यायों के लिये माफी मांगी थी। देश के मूलनिवासी प्रायः हाशिये पर रखा जानेवाला अल्पसंख्यक समुदाय है। ऑस्ट्रेलिया की कुल आबादी दो करोड़ दस लाख है जिनमें मूलनिवासियों की संख्या साढ़े चार लाख है। यह ऑस्ट्रेलिया का सर्वाधिक निर्धन दल है। मूलनिवासियों में बेरोज़गारी एवं निरक्षरता व्याप्त है तथा अन्य ऑस्ट्रेलियाई नागरिकों से इनकी औसतन आयु 17 वर्ष कम है।

गवर्मेन्ट हाउस में सम्पन्न स्वागत समारोह के उपरान्त सन्त पापा मेरी मैककिलॉप स्मारक प्रार्थनालय गये। मेरी मैककिलॉप ऑस्ट्रेलिया की प्रथम धन्य घोषित महिला हैं जिन्हें स्व. सन्त पापा जॉन पौल द्वितीय ने सन् 1995 में, विगत शताब्दी में बच्चों की अनुपम सेवा के लिये, धन्य घोषित कर वेदी का सम्मान प्रदान किया था। इस प्रार्थनालय में सन्त पापा ने लगभग 100 धर्मबहनों के साथ प्रार्थनाएँ अर्पित की।

मेरी मैककिलॉप स्मारक प्रार्थनालय से सन्त पापा ढाई किलो मीटर की दूरी पर स्थित एडमीराल्टी हाऊस गये। एडमीराल्टी हाऊस ऑस्ट्रेलिया के महाराज्यपाल का निवास है जो महारानी एलिज़ाबेथ द्वितीय के प्रतिनिधि भी हैं। यहीं सन्त पापा ने महाराज्यपाल माईकल जेफरी तथा उनके बाद प्रधान मंत्री केविन रड से औपचारिक मुलाकातें की। महाराज्यपाल एवं प्रधान मंत्री से औपचारिक मुलाकात के बाद दोनों परिवारों के सदस्यों तथा एडमीराल्टी हाऊस में कार्यरत अधिकारियों ने सन्त पापा के साथ तस्वीरें खिंचवाई।

उपहारों के आदान प्रदान के साथ ही यह मैत्रीपूर्ण समारोह समाप्त हुआ तथा सन्त पापा मध्यान्ह भोजन के लिये सिडनी के कथीड्रल हाऊस पहुँचे। गोपनीयता की परम्परा का पालन करते हुए उक्त मुलाकातों का विवरण प्रकाशित नहीं किया गया है किन्तु सरकारी सूत्रों के अनुसार महाराज्यपाल माईकल जेफरी ने पर्यावरण पर बातचीत की तथा प्रधान मंत्री ने खाद्य, जल एवं ऊर्जा जैसे प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा पर बल दिया जबकि सन्त पापा ने पवित्रआत्मा की शक्ति को कायम रखने की आवश्यकता पर बल दिया जो अन्य सभी चीज़ों को अर्थ प्रदान करती है।

श्रोताओं को याद दिला दें कि सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें इस समय ऑस्ट्रेलिया में हैं जहाँ वे 23 वें विश्व युवा दिवस के कतिपय समारोहों का नेतृत्व कर रहे हैं। विश्व युवा दिवस काथलिक युवाओं का सर्वाधिक महत्वपूर्ण एवं विशाल महोत्सव है जो 21 जुलाई तक सिडनी में मनाया जा रहा है।

इस समय सिडनी में 170 राष्ट्रों के ढाई लाख से अधिक युवा एकत्र हैं जिनके लिये आयोजकों ने 35 लाख भोजन की थालियाँ तैयार की हैं। सन्त पापा की यात्रा के दौरान सुरक्षा उतनी ही कड़ी है जितनी वह सिडनी में सम्पन्न ओलोम्पिक खेलों के समय थी। महानगर के लगभग 300 मार्ग बन्द कर दिये गये हैं तथा 500 विद्यालयों, 35 रेल एवं बस स्टेशनों को ऐसे क्षेत्र घोषित कर दिया गया है जहाँ कभी भी जाँच पड़ताल हो सकती थी।

गुरुवार अपरान्ह कथीड्रल हाऊस से छः किलोमीटर दूर स्थित रोज़ बे घाट पर ऑस्ट्रेलिया के मूलनिवासियों ने पारम्परिक गातों की धुन पर थिरकते हुए सन्त पापा का अपने बीच भावपूर्ण स्वागत किया।

मूलनिवासी दल को आशीष प्रदान करने के बाद सिडनी 2000 नामक पोत से नौका विहार के लिये निकल पड़े। इस अवसर पर समुद्र के तट से जयनारे लगाते हज़ारों लोगों को उन्होंने दर्शन देकर कृतार्थ किया।

लगभग एक घण्टे की नौयात्रा के उपरान्त सन्त पापा सिडनी के बारांगारू घाट पहुँचे जहाँ ऑस्ट्रेलिया के युवाओं ने "तू एस्त पेत्रुस" गीत गाकर उनका अपने बीच स्वागत किया। सुसमाचार पाठ तथा पवित्रआत्मा से प्रार्थना के उपरान्त सन्त पापा ने युवाओं को इन शब्दों से सम्बोधित कियाः

" अति प्रिय युवाओ, सिडनी के बंदरगाह के भव्य तट पर इसके प्रसिद्ध पुल और ओपेरा हाउस के साथ ही बारांगारु घाट में आपका अभिवादन करते मैं हर्षित हूँ। आप में से अनेक स्थानीय हैं। आस्ट्रेलिया के विभिन्न शहरों के बहुसांस्कृतिक समुदायोँ से हैं जबकि दूसरे ओसेनिया, एशिया, मध्य पूर्व, अफ्रीका और अमेरिका तथा यूरोप से आये हैं। हम कहीं से भी हैं अंततः आज हम यहाँ सिडनी में हैं । एक साथ इस दुनिया मे हम ईश्वर के परिवार, ख्रीस्त के शिष्य के रूप में उनकी आत्मा से अनुप्राणित होकर प्रेम और सत्य के साक्षी देने के लिये तैयार हैं।

प्रिय मित्रो, आपका अस्तित्व ईश्वर की इच्छा से हुई है। यह कृपा से पूर्ण है और इसका एक उद्देश्य है। जीवन केवल घटनाओं, और अनुभवों का क्रम नहीं है। यद्यपि इन घटनाओं से हम जीवन को समझते हैं पर जीवन का लक्ष्य है - सत्य की खोज। हमें चाहिये कि हम सत्य की खोज के लिये उस स्वतंत्रता का उपयोग करें जिसे हमें ईश्वर ने दी है। हम उनलोगों के बहकावे में न आयें जो हमें उपभोक्ता समझकर उन सब वस्तुओं को देते हैं जो हमें सत्य से दूर रख सकता है। इसी लिये हम उस मार्ग को अपनायें जिस येसु ने अपने प्रेरितों को दिखाया था। येसु के द्वारा दिखाया गया मार्ग ही सत्य का मार्ग है और इसका प्रवेश द्वार है बपतिस्मा। बपतिस्मा संस्कार के द्वारा ईश्वर ने हमें पवित्र किया है। बपतिस्मा को हमने नहीं कमाया है यह तो ईश्वरीय वरदान है जिसके द्वारा हम एक नयी सृष्टि बन गये हैं।

प्रिय युवाओ, अहिंसा, न्याय और शांति और पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता मानवजाति के लिये बहुत महत्व के हैं। आज की दुनिया लोभ, शोषण, विभाजन, झूठे देवता तथा झूठे आश्वासन से भरी है। इन प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद हमें चाहिये कि हम प्रेम और एकता के लिये लालायित रहे, सत्य और सच्ची स्वतंत्रता को खोजें, आपसी सम्मान और सह-अस्तित्व के लिये कार्य करें। यह सब काम पवित्र आत्मा के द्वारा संभव है जिसे प्रभु येसु ने हमें दिया है। मैं चाहता हूँ कि यही वह संदेश हो जिसे आप विश्व के कोने-कोने में ले जायेंगे और दुनिया के लोगों इसी सत्य के बारे में बताएँगे।"

गुरुवार को ऑस्ट्रेलिया के लगभग सभी समाचार पत्रों ने ऑस्ट्रेलिया में सन्त पापा की गतिविधियों पर सूचनाएँ प्रकाशित की तथा इस दिन को सूपर थर्सडे एवं सूपर होली थर्सडे की संज्ञा प्रदान की। इससे यही साबित होता है कि ऑस्ट्रेलिया के लोग तथा विश्व के विभिन्न भागों से यहाँ एकत्र युवाओं के बीच काथलिक कलीसिया के परमधर्मगुरु सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें की प्रेरिताई वाँछित फल उत्पन्न कर रही है।
























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