संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें का ऑस्ट्रेलिया में प्रथम भाषण
संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें का ऑस्ट्रेलिया में प्रथम भाषण
संत पापा बेनेदिक्त
सोलहवें ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा " बहनों, भाइयो और ऑस्ट्रेलिया के मेरे दोस्तो,
मुझे खुशी है कि आज मैं आप लोगों के बीच हूँ। मैं ऑस्ट्रेलिया के गवर्नर जेनरल मिखाएल
जेफरी और प्रधानमंत्री केविन रुद्द के हार्दिक स्वागत, सम्मान और आपके स्नेह के लिये
कृतज्ञ हूँ।"
कई लोगों के मन-दिल में यह प्रश्न गूँज रहा हैं कि आखिर लाखों की
संख्या में इतने युवा सिडनी में क्यों जमा हुए हैं। मैं विश्व को बताना चाहता हूँ कि
विश्व युवा दिवस में इतनी बड़ी संख्या में इसीलिये आते हैं ताकि वे ईश्वर के वचन को जान
सकें, उसे ग्रहण कर सकें, अपने जीवन को आशा से पूर्ण सकें और एक बेहतर दुनिया के निर्माण
में अपना योगदान दे सकें।
संत पापा ने आगे कहा कि वे ऑस्ट्रेलियन सरकार की साहसपूर्ण
कदम की तारीफ करते हैं क्योंकि सरकार ने आदिवासियों या मूलवासियों के विरुद्ध हुए सरकारी
भेद-भाव और अन्याय के लिये सार्वजनिक रूप से माफ़ी माँगी है। यह मेल-मिलाप और आपसी सम्मानपूर्ण
संबंध को मजबूत करने की दिशा में एक ठोस पहल है। इससे उन लोगों के दिल में आशा जगी है
जो चाहते हैं कि उनके अधिकारों का सम्मान किया जाये, उन्हें उचित जगह दी जाये और उनका
प्रचार-प्रसार किया जाये। यूरोप से आकर बसे यहाँ के मूलवासियों ने शिक्षा और स्वास्थ्य
के क्षेत्र में बहुत कार्य किये हैं।
इस अवसर पर संत पापा ने कहा कि लोगों को
चाहिये कि वे विभिन्न बाधाओं को झेलते और कठिनाइय़ों में धैर्य का परिचय देते हुए ऑस्ट्रेलिया
की धन्य मेरी मैकिलोप की तरह ग़रीबों औऱ कमजोर वर्ग के लोगों का साथ देते रहें और न्याय
और शांति के लिये कार्य करें।
उन्होंने आगे कहा, भाइयो एवं बहनो ऑस्ट्रेलिया
के राष्ट्रीय गान में इस बात ज़िक्र है कि ऑस्ट्रेलिया की धरती प्राकृतिक सौदर्य और सम्पदा
से भरपूर है जो हमें याद दिलाती है कि ईश्वर की रचना कितनी अनुपम हैं और हमें पर्यावरण
की रक्षा करनी है। ऩ केवल पर्यावरण या प्राकृतिक वातावरण की बल्कि मानवीय वातावरण को
भी शांतिपूर्ण बनाये रखने का दायित्व ईश्वर ने मानव को सौंपा है। संत पापा ने इस अवसर
पर यह भी कहा कि वे ऑस्ट्रेलिया के उन प्रयासों की तारीफ़ करते हैं जिसमें उन्होंने दक्षिणी-पूर्वी-एशिया
और उसके पड़ोसी राष्ट्रों के मध्य हो रहे संकटों का शांतिपूर्ण समाधान करने में अपना
योगदान दिया है।
संत पापा ने यह भी कहा कि ऑस्ट्रेलिया एक ऐसी भूमि है जहाँ अन्तरकलीसाई
और अन्तरधार्मिक वार्ता के बीजों को पनपने, प्रस्फुटित होने औऱ बढ़ने के लिये उचित वातावरण
तैयार हैं।
अन्त में संत पापा ने कहा कि वे ऑस्ट्रेलिया के सब लोगों के लिये प्रार्थना
करते हैं कि वे पवित्र आत्मा युवाओं पर और ऑस्ट्रेलिया के लोगों पर उतरे, उनकी रक्षा
करे और उसकी शक्ति से लोग जीवन के हर एक मोढ़ पर सही चुनाव कर सकें और संतों के समान
जीवन बिता सकें।