2008-07-02 11:45:30

2 जुलाई के आमदर्शन समारोह के अवसर पर
संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें का संदेश


बुधवारीय आमदर्शन समारोह में संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने संत पौल षष्टम् सभागार में एकत्रित हजारों तीर्थयात्रियों और श्रद्घालुओँ को विभिन्न भाषाओं में सम्बोधित किया। उन्होंने कहा-

प्रिय भाईयो एवं बहनों पिछले सप्ताह रविवार को हमने कलीसिया के दो महान् प्रेरितों संत पीटर और पौल का महोत्सव मनाया औऱ आने वाले वर्ष को कलीसिया के एक महान् स्तम्भ प्रेरित पौल को समर्पित किया है।


आज मेरी इच्छा है कि हम धर्मशिक्षा का एक नया अध्याय शुरु करें। आज मैं आपलोगों को सत पौल के बारे में बताना चाहता हूँ। आईये हम उनके जीवन के कुछ पहलुओं पर मनन-चिन्तन करें। संत पौल एक यहूदी था और उसका जीवन रोम में बीता। रोम में उस समय यहूदियों की संख्या बहुत कम थी।

संत पौल की एक विशेषता थी कि वह ग्रीक बोल सकता था और दूसरी खूबी यह थी कि उसे रोमन नागरिकता प्राप्त थी। संत पौल ने जिस तरीके से जीवित येसु का प्रचार किया वह यहूदी धर्म से जुड़ी हुई थी और उसकी शिक्षा में खुलापन था।

उसकी बातों से यह बात स्पष्ट झलकती थी कि उसे कई अन्य संस्कृति की जानकारी थी। संत पौल ने अपने प्रवचन में तत्कालीन स्टोविक विचारधारा की अच्छाईयों का समावेश कर पाया था। साथ ही साथ संत पौल ने उन चुनौतियों का भी नज़दीकी से सामना किया जिसे परम्परागत ग्रीक और रोमन धर्मावलंबी जूझ रहे थे। उनकी चुनौती थी - ईश्वर का व्यक्तिगत अनुभव करना।

जब संत पौल एथेन्स में अरेयोपागुस मे प्रवचन दे रहे थे तब हमें इस बात की एक झलक मिलती है कि संत पौल ने भी इस समस्या का सामना किया औऱ अपने प्रवचन में उसके समाधान के उपाय बताये। संत पौल को समर्पित इस वर्ष में हम संत पौल के जीवन और प्रवचनों का और ही गहराई से अध्ययन करेंगे।


इतना कहकर संत पापा ने अपना संदेश समाप्त किया। उन्होंने देश-विदेश से एकत्रित तीर्थयात्रियों और पर्यटकों पर विशेषकर के पालोटाईन धर्मसमाज की धर्मबहनों, कोलम्बियन मिशनरिस, सोवेतो काथलिक चर्च के गायकदल के सदस्यों औऱ इंगलैंड, आयरलैंड, नोरवे, बहामस, कनाडा और अमेरिका से आये लोगों पर प्रभु की कृपा और शांति की कामना करते हुए सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।
















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