नई दिल्लीः भारत के प्रधान मंत्री मन मोहन सिंह ने सोमवार को जलवायु परिवर्तन एवं गर्म
होते तापमान पर नई राष्ट्रीय योजना का अनावरण किया। प्रधान मंत्री के अनुसार यह आठ सूत्रीय
नवीन योजना भारत को पुराने ईंधन स्रोतों को छोड़ने तथा सौर ऊर्जा को अपनाने में सक्षम
बनायेगी। साथ ही हाल के वर्षों में हुए विकास का परित्याग किये बिना धारणीय विकास का
मार्ग सुझायेगी।
गौरतलब है कि 7 जुलाई को जापान में जलवायु परिवर्तन पर जी
एट अर्थात विश्व के सर्वाधिक औद्योगिक राष्ट्रों का शिखर सम्मेलन होने जा रहा है जिसमें
प्रधान मंत्री मन मोहन सिंह भी भाग लेंगे। जी एट के सम्मेलन से पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन
सिंह ने कहा है कि जलवायु परिवर्तन से जुड़ी चुनौतियों का मुकाबला करने के प्रयासों में
भारत अपनी भूमिका निभाने को तैयार है।
जलवायु परिवर्तन पर तैयार नई योजना
की प्रस्तावना करते हुए श्री मनमोहन सिंह ने कहा कि जलवायु परिवर्तन की समस्या पूरे विश्व
के लिए एक महान चुनौती है जिसका सामना सभी देशों के सामूहिक प्रयासों और सहयोग से किया
जा सकता है।
विकासशील देश चाहते हैं कि प्रदूषण रोकथाम हेतु विकसित अर्थात धनी
औद्योगिक देश भी अपना योगदान दें जबकि विकसित देश इस बात पर बल देते रहे हैं कि कॉर्बन
डाई ऑक्साइड का उत्सर्जन कम करने में विकासशील देशों जैसे भारत एवं चीन को और प्रभावी
कदम उठाने चाहिये।
प्रधान मंत्री मन मोहन सिंह ने भारतीय सरकार के इस प्रण की
पुनरावृत्ति की कि भारत में प्रति व्यक्ति स्तर पर ग्रीन हाऊस गैस उत्सर्जन कभी भी विकसित
देशों में होनेवाले उत्सर्जन से अधिक नहीं होगा। भारत प्रति वर्ष प्रति व्यक्ति स्तर
पर 1.2 टन उत्सर्जन उत्पन्न करता है जबकि अमरीका 20 टन प्रति व्यक्ति और विश्व औसतन चार
टन।
संयुक्त राष्ट्र संघ की एक रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि यदि सन् 2020
तक 25 से 40 प्रतिशत तक उत्सर्जन कम नहीं किया गया तो व्यापक स्तर पर पर्यावरण को क्षति
पहुँचेगी।