2008-04-18 23:24:36

न्यूयॉर्क के संत जोसेफ गिरजाघर में अन्तरकलीसियायी सम्मेलन में संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें का संदेश


प्रिय भाइयो एवं बहनों, मैं पिता ईश्वर को धन्यवाद देना चाहता हूँ जिसने यह वरदान दिया जब हम प्रार्थना के लिये एक साथ जमा हो पाये हैं। मैं आज उन सभी संस्थाओं विशेषकर के नैशनल कौंसिल ऑफ चर्चेस, क्रिश्यन चर्चेस टुगेदर और अन्तरधार्मिक और अन्तरकलीसियायी एकता के लिये बनी काथलिक बिशपों की समिति को धन्यवाद देना चाहूँगा जिनके अथक प्रयास से यह आयोजन सफल हो पाया है। मेरी आशा है कि अमरीका में अन्तर कलीसियायी एकता के लिये चलाया जा रहे अभियान से पूरी दुनिया के ईसाईयों की एकता मजबूत होगी। मेरी यह भी आशा है कि हम संत पौल की तरह यह कह सकें कि हम सिर्फ येसु के पवित्र नाम के लिये ईश्वर के प्रति आज्ञाकारी बने रहेंगे।
संत पापा ने आगे कहा भाईयो एवं बहनों भूमंडलीकरण ने दुनिया के सब लोगों को एक दूसरे के करीब ला दिया है जौभि के हम सांस्कृतिक रूप से एक – दूसरे से बहुत भिन्न हैं। आज की इस बदली हूई परिस्थिति में हमारा दायित्व हैं कि हम मानवता की भलाई के लिये एक हो कर कार्य करें।
भाइयो एवं बहनों, जब कभी हमारे जीवन में कठिनाईयाँ आती हैं और हमारी एकता कमजोर होने लगती हैं ऐसे समय में हम तृत्वमय ईश्वर की एकता की ओर अवश्य लौट कर देखें और आरम्भिक कलीसिया की एकता से प्रेरणा ग्रहण करें। आरंभिक ख्रीस्तीय समुदाय को जिस तथ्य ने एकता के सूत्र में बाँधे रखा था वह था उनका इस बात पर अटूट विश्वास कि येसु सशरीर महिमा के साथ जी उठे हैं और उन्हें उसी येसु मसीह का साक्ष्य दुनिया के सब लोगों को देना है।
मेरे प्रिय भाइयो और बहनों, आज विज्ञान के क्षेत्र में जो प्रगति हुई है और जो खोज हुए हैं इसने लोगों को कई अन्य मार्ग दिखाये हैं जिनके द्वारा मानव की प्रगति संभव है या तो आज कई लोग यह मानते हैं कि ईश्वर की प्राप्ति ईश्वर के व्यक्तिगत अनुभव के आधार पर हो सकता है पर मैं आप सबों को बताना चाहता हूँ कि इस प्रकार की स्वतंत्रता से कई छोटे-छोटे समुदायों का निर्माण होता रहा है और इससे कलीसिया के जो मूल सिद्धांत हैं उनकी गहराई में लोग नहीं जा पाते हैं । इसके ठीक विपरीत वे अपने छोटे समुदाय के सांगठनिक रूपरेखा को ही मजबूत करने में अपना समय और ताकत लगाते हैं।
मेरा विश्वास है, कि ईसाई समुदाय वास्तव में तब ही मजबूत होगा जब हम ख्रीस्त की मूल शिक्षा और मूल्यों के नाम पर एक – दूसरे से जुड़े और उन मूल्यों के अनुसार अपना जीवन बिताएँगे तो हम निश्चय ही दुनिया की किसी भी चुनौती का सटीक जवाब दे पायेंगे। आज पूरी दुनिया के लोग हमसे यही आशा रखते हैं कि हम अपने जीवन से येसु के प्रेम का ऐसा साक्ष्य दें कि लोग समझ सकेंगे कि ईश्वर ने दुनिया को कितना प्यार किया है।और वे जान पायेंगे कि सिर्फ ईसा मसीह ही जीवन की आशा हैं।
संत पापा ने आगे कहा कि ईश्वर सब ख्रीस्तियों को यह वरदान दे कि वे आशामय जीवन बितायें ईश्वर पर अपनी आस्था रखें और तब हम और तब हम फादर पौल वाटसन की तरह कह सकेंगे जब हम एक दूसरे के साथ आशामय एकता, विश्वासमय एकता और प्रेममय एकता दिखा पायेंगे तब ही विश्व यह विश्वास करेगा कि येसु ही ईश्वर के द्वारा भेजे गये थे ताकि सबकी मुक्ति हो सके।












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