2008-04-09 11:25:03

बुधवारीय - आमदर्शन समारोह के अवसर पर
संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें का संदेश


बुधवारीय आमदर्शन समारोह में संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में एकत्रित हजारों तीर्थयात्रियों को विभिन्न भाषाओं में सम्बोधित किया। उन्होंने कहा-

प्रिय भाइयो एवं बहनों, प्राचीन धर्माचार्यों की शिक्षामाला को जारी रखते हुए आज हम कलीसिया के एक महान् संत बेनेदिक्त के जीवन पर मनन-चिंतन करें। संत बेनेदिक्त के बारे में हमें जिस श्रोत से जानकारी मिलती है उसमें पोप संत ग्रेगोरी महान् की किताब द डयालोग महत्वपूर्ण है। रोमन साम्राज्य के पतन के बाद जो राजनीतिक उथल-पुथल की स्थिति थी उसमें पोप ग्रेगोरी ने सोचा कि संत बेनेदिक्त ने जो नियम दिये हैं वे यूरोप की स्थिति को सुधारने के लिये एक अच्छा साधन हो सकता है। संत बेनेदिक्त का जन्म सन् 480 ईस्वी में नर्सिया में हुआ था। उन्होंने अपना जीवन धर्मसमाजियों के साथ बिताया और उसके बाद उन्होंने अपने जीवन को एक मठवासी के ऱूप में समर्पित कर दिया।

आरम्भ में बेनेदिक्त को अनेक प्रलोभनों का सामना करना पड़ा विशेष करके अहंकार गुस्सा और लिप्सा जैसे मनुष्य की कमजोरियों से। इन सभी पर विजय प्राप्त कर लेने के बाद उन्होंने सुबियाको में एक मठ की स्थापना की। इसके बाद उन्होंने एक और मठ की स्थापना की जो मोन्ते कसीनो में अवस्थित है संत बेनेदिक्त चाहते थे कि मठवासी व्यक्ति के जीवन में ऐसे प्रकाशित हों कि इससे कलीसिया और समाज को सत्य का मार्ग दिखाई पड़े। और ऐसा हुआ भी जब उनकी मृ्त्यु सन् 547 ईस्वी में हुई तो उन्होंने अपने पीछे जो विरासत छोड़ दी वह हमें आमंत्रित करती है कि हम सदा ईश्वर को खोजें और ईश्वर के आज्ञाओं का पालन नम्रता पूर्वक करें हुए हर रोज अपनी जिम्मेदारियों को निभायें और जरुरतमंदों की मदद करें।

सन् 1964 ईस्वी में संत पापा पौल 6वें ने उन्हें पूरे यूरोप का संरक्षक संत घोषित किया और उनके कार्यों की मान्यता दी और कहा कि संत बेनेदिक्त की शिक्षा यूरोप की आध्यात्मिकता और संस्कृति को परिस्कृत करने में बहुत मदद की है। आज आइये हम यूरोप की एकता के लिये प्रार्थना करें ताकि पूरा यरोप अपनी नयी एकता को बरकरार रखे और काथलिक कलीसिया की विरासत को बरकरार रखते हु्ए सदा ही ख्रीस्तीय मूल्यों के अनुसार ही अपना जीवन बनाये।

इतना कहकर संत पापा ने अपना संदेश समाप्त किया। उन्होंने तीर्थयात्रियों पर प्रभु की कृपा और शांति की कामना करते हुए सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।









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